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मंकीपॉक्स को रोकने के लिए चेचक का टीका जरूरी, डॉक्टरों ने क्या दी सलाह, जानें

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राजधानी के सर गंगाराम अस्पताल के डॉक्टरों ने कहा कि चेचक का टीका बंद होने से मंकीपॉक्सके मामलों के फिर से उभरने में मदद मिली होगी. अस्पताल में इंस्टिट्यूट ऑफ क्लिनिकल माइक्रोबायोलॉजी एंड इम्यूनोलॉजी के अनुसंधाकर्ताओं द्वारा लिखा गया एक संपादकीय इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल माइक्रोबायोलॉजी के वर्तमान संस्करण में प्रकाशित हुआ है. इसमें सुझाव दिया गया है कि अधिकारियों को 45 वर्ष से कम आयु के लोगों को चेचक का टीका लगाने के लिए एक कार्यक्रम शुरू करना चाहिए क्योंकि यह 85 प्रतिशत सुरक्षा प्रदान करता है. भारत में मंकीपॉक्स के वर्तमान में 14 मामले हैं, जिनमें से 9 दिल्ली में हैं.

सर गंगाराम अस्पताल के इंस्टिट्यूट ऑफ क्लिनिकल माइक्रोबायोलॉजी एंड इम्यूनोलॉजी के अध्यक्ष एवं संपादकीय से जुड़े लेखक डॉक्टर चंद वट्टल ने कहा कि चेचक का टीका के बंद होने के कारण मनुष्यों में कमजोर प्रतिरक्षा की वजह से मंकीपॉक्स के फिर से उभरने की गुंजाइश पैदा हो गई है. जो 30-40 वर्षों तक इसकी अनुपस्थिति के बाद प्रकोप के फिर से उभरने मददगार होता है.

वरिष्ठ डॉक्टर ने कहा कि मंकीपॉक्स के कई मरीज 40 साल से कम उम्र के हैं, जिनकी औसत उम्र 31 साल है. उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि चेचक का टीका 85 प्रतिशत सुरक्षा प्रदान करता है, इसलिए उन लोगों के लिए टीकाकरण कार्यक्रम पर विचार किया जाना चाहिए जिन्हें यह टीका नहीं लगा है. अब एक रोडमैप तैयार किया जाना चाहिए, विशेष रूप से 45 वर्ष से कम उम्र के लोगों के लिए.’’

यह उल्लेख करते हुए कि विशेषज्ञ इस बात पर सहमत हैं कि संक्रमण निकट संपर्क से श्वसन बूंदों के माध्यम से हो सकता है, डॉ संघमित्रा दत्ता, लेखक और वरिष्ठ सलाहकार, क्लिनिकल माइक्रोबायोलॉजी एंड इम्यूनोलॉजी संस्थान, सर गंगाराम अस्पताल, ने कहा कि मंकीपॉक्स उस दूरी तक प्रसारित नहीं हो सकता जितना कि कोरोना वायरस होता है.

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