यूरोपीय केंद्रीय बैंक (ईसीबी) ने रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुकी मुद्रास्फीति को काबू में करने के लिए गुरुवार को नीतिगत ब्याज दर में अब तक की सर्वाधिक 0.75 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है. यूरोपीय संघ के 19 सदस्य देशों के लिए केंद्रीय बैंक के तौर पर काम करने वाले ईसीबी की संचालन परिषद की बैठक में ब्याज दर को 0.75 प्रतिशत बढ़ाने का अप्रत्याशित फैसला किया गया.
यह फैसला इस लिहाज से काफी अहम है कि ईसीबी आमतौर पर नीतिगत ब्याज दर में 0.25 प्रतिशत का ही बदलाव करता रहा है. इसने वर्ष 1999 में अपने गठन के बाद से अब तक कभी भी एक साथ 0.75 प्रतिशत की दर वृद्धि नहीं की थी
क्यों हुई रिकॉर्ड बढ़ोतरी
ब्याज दर में यह भारी बढ़ोतरी करने का मकसद उपभोक्ताओं, कारोबार और सरकारों के लिए कर्ज लेने को महंगा बनाना है. ताकि खर्च और निवेश में गिरावट आए जिससे उपभोक्ता वस्तुओं के दाम में कटौती हो और लोगों को मुद्रास्फीति के बोझ से राहत मिले. विश्लेषकों का कहना है कि ईसीबी के इस सख्त कदम को केंद्रीय बैंक की विश्वसनीयता बहाल करने के तौर पर भी देखा जा सकता है. लगातार बढ़ती महंगाई को काबू में करने के लिए ईसीबी की तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाने पर उस पर भी सवाल उठने लगे थे.
गैस की कीमतें 10 गुना तक बढ़ चुकी
यूरोपीय संघ के सदस्य देशों में मुद्रास्फीति अगस्त के महीने में रिकॉर्ड 9.1 प्रतिशत पर पहुंच गई है. आने वाले महीनों में इसके दहाई अंक में भी जाने की आशंका विश्लेषक जता रहे हैं. यूक्रेन और रूस के बीच छिड़े युद्ध ने इस मुद्रास्फीति को बढ़ाने में काफी योगदान दिया है. रूस से सस्ती प्राकृतिक गैस की आपूर्ति घटने से यूरोपीय देशों में गैस की कीमतें 10 गुना तक बढ़ चुकी हैं
रूस ने बनाया दबाव
यूरोपीय अधिकारियों का कहना है कि रूस उस पर दबाव बनाने के लिए जानबूझकर गैस की आपूर्ति में कटौती कर रहा है. वहीं रूस ने इसके लिए तकनीकी समस्याओं को जिम्मेदार ठहराने के साथ इस हफ्ते से गैस आपूर्ति पूरी तरह ठप करने की धमकी भी दी है. रूस ने कहा है कि अगर उसके प्राकृतिक गैस एवं तेल पर पश्चिमी देशों ने कीमत की सीमा तय कर दी तो वह यूरोप को आपूर्ति बंद कर देगा.
बेरेनबर्ग बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री होल्गर श्मीडिंग ने कहा, ‘ईसीबी मुद्रास्फीति का मुकाबला करना चाहता है और वह इस दिशा में कदम उठाते हुए भी नजर आना चाहता है.’