मानसूत्र सत्र के पहले सप्ताह के मुकाबले दूसरे सप्ताह में कामकाज 26.90 प्रतिशत से गिरकर 16.49 प्रतिशत पर पहुंच गया. राज्यसभा में विभिन्न मुद्दों पर हंगामे के कारण कार्यवाही बार-बार बाधित हुई है. हंगामे के कारण 23 सदस्यों को निलंबित भी किया जा चुका है. राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू हंगामे और व्यवधान पर यह कहते हुए अपनी नाखुशी जता चुके हैं कि व्यवधान संसदीय लोकतंत्र का विनाश है. अधिकारियों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक पहले दो सप्ताह के दौरान राज्यसभा के कामकाज में 21.58 प्रतिशत की गिरावट आई है.
हंगामे की भेंट चढ़ा 40 घंटा
राज्यसभा सचिवालय ने बताया कि अब तक हुई 10 बैठकों में राज्यसभा में 11 घंटे और आठ मिनट काम हुआ जबकि 51 घंटे और 35 मिनट का कामकाज निर्धारित था. इसक मतलब है कि 40 घंटे और 45 मिनट हंगामा और व्यवधान में बर्बाद हो गए. अभी तक इस सत्र में एक भी विधेयक पारित नहीं कराया जा सका है. सामूहिक संहार के आयुध और उनकी परिदान प्रणाली (विधि विरूद्ध क्रियाकलाप का प्रतिषेध) संशोधन विधेयक पर चर्चा पूरी होना बाकी है. इस सत्र के पहले दो सप्ताहों में अभी तक शून्य काल के तहत कोई मामला नहीं उठाया जा सका, आठ दिन एक भी विशेष उल्लेख नहीं उठाया जा सका और छह दिन प्रश्न काल नहीं हो सका.
नायडू ने चिंता प्रकट की
सदन में बार-बार हो रहे हंगामे के मद्देनजर अपनी चिंता प्रकट करते हुए नायडू ने हाल ही में कहा था कि विरोध की राजनीति का संसद और राज्य की विधानसभाओं के कामकाज पर असर नहीं पड़ने देना चाहिए. हैदराबाद के नए सांसदों के लिए आयोजित एक कार्यक्रम का वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन करने के बाद एम वेंकैया नायडू ने कहा कि मतभेदों को दूसरों की राय सुनने की क्षमता पैदा करके बहस और चर्चा के जरिये सुलझाया जाना चाहिए, लेकिन जरूरी नहीं कि उनसे सहमत ही हुआ जाए. उन्होंने कहा, सरकार और विपक्ष, दोनों पर सदन के सुचारू एवं प्रभावी कामकाज को सुनिश्चित करने की सामूहिक जिम्मेदारी है.
मॉनसून सत्र शुरू होने के बाद से आवश्यक वस्तुओं पर माल एवं सेवा कर(जीएसटी), महंगाई और अन्य मुद्दों पर चर्चा कराने की मांग को लेकर विपक्ष के हंगामे के कारण संसद की कार्यवाही बार-बार बाधित हुई है. विपक्षी दलों के प्रदर्शन के कारण राज्यसभा और लोकसभा से कई सदस्यों को निलंबित भी किया गया है.