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विदेशी निवेशकों की बिकवाली की रफ्तार धीमी पड़ी, जुलाई में 7432 करोड़ की निकासी, क्या ये ट्रेंड बदलने का संकेत

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विदेशी निवेशकों की बिकवाली लगातार 9 महीने से जारी है. भारतीय बाजार से एफपीआई लगातार पैसा निकाल रहे हैं. जुलाई महीने में भी विदेशी निवेशकों की पूंजी निकासी जारी है. हालांकि जुलाई में निकासी का ट्रेंड ये बता रहा है कि बिकवाली की रफ्तार धीमी पड़ रही है. पिछले महीने की तुलना में इस बार काफी कम पूंजी निकासी हुई है. जुलाई महीने में दो सप्ताह निकल गया है और अभी तक एफपीआई की बिकवाली 10 हजार करोड़ रुपए के अन्दर ही है. तो क्या इसको ट्रेंड में बदलाव का संकेत माना जा सकता है. एक्सपर्ट्स की इस पर अलग अलग राय है.

एनएसडीएल के आंकड़ों के मुताबिक, 1-15 जुलाई से इक्विटी बाजार में एफपीआई की फंड निकासी 7,432 करोड़ रुपये की रही. वहीं, 1 से 18 जून के बीच इक्विटी बाजार में एफपीआई ने 31,430 करोड़ रुपये की बिकवाली की थी. यह अन्तर बड़ा और यह दिखाता है कि विदेशी निवेशकों की बिकवाली धीमी पड़ रही है.

विदेशी निवेशकों की बिकवाली लगातार 9 महीने से जारी है. भारतीय बाजार से एफपीआई लगातार पैसा निकाल रहे हैं. जुलाई महीने में भी विदेशी निवेशकों की पूंजी निकासी जारी है. हालांकि जुलाई में निकासी का ट्रेंड ये बता रहा है कि बिकवाली की रफ्तार धीमी पड़ रही है. पिछले महीने की तुलना में इस बार काफी कम पूंजी निकासी हुई है. जुलाई महीने में दो सप्ताह निकल गया है और अभी तक एफपीआई की बिकवाली 10 हजार करोड़ रुपए के अन्दर ही है. तो क्या इसको ट्रेंड में बदलाव का संकेत माना जा सकता है. एक्सपर्ट्स की इस पर अलग अलग राय है.

एनएसडीएल के आंकड़ों के मुताबिक, 1-15 जुलाई से इक्विटी बाजार में एफपीआई की फंड निकासी 7,432 करोड़ रुपये की रही. वहीं, 1 से 18 जून के बीच इक्विटी बाजार में एफपीआई ने 31,430 करोड़ रुपये की बिकवाली की थी. यह अन्तर बड़ा और यह दिखाता है कि विदेशी निवेशकों की बिकवाली धीमी पड़ रही है.

अभी बाजार में अस्थिरता
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के रिसर्च हेड विनोद नायर ने कहा, “अस्थिरता फिर से उभरी है और निवेशकों ने अमेरिकी मुद्रास्फीति में वृद्धि को देखते हुए आगामी फेड नीति पर अपना ध्यान केंद्रित किया है. कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और एफआईआई की बिक्री में कमी ने घरेलू बाजार माहौल को थोड़ा पॉजिटीव किया है. बाजार में निराशाजनक आईटी परिणाम, रुपये में गिरावट और वैश्विक मंदी का डर बड़े पैमाने पर बाजार को आगे जाने से रोक रहा है.

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