रुपया इस समय रिकॉर्ड निचले स्तर पर चला गया है. पिछले काफी समय से यह लगातार गिर रहा है. इस समय एक डॉलर के मुकाबले रुपया की कीमत लगभग 80 रुपए पहुंच गई है. वहीं, एक्सपर्ट्स का कहना है कि ग्लोबल परिस्थिति, अमेरिका में महंगाई और मंदी की आशंका की वजह से रुपया में तुरन्त कोई सुधार की संभावना नहीं दिख रही है. बल्कि रुपया यहां से भी नीचे जा सकता है.
शनिवार को रुपया 6 पैसा कमजोर होकर 79.94 के स्तर पर खुला था और दिन के कारोबार में इसने 79.95 का रिकॉर्ड लो भी लगाया. आखिरी सत्र में रुपया ने थोड़ी बहुत रिकवरी दिखाई और 79.88 के स्तर पर क्लोज हुआ. यह रिकॉर्ड लो स्तर है. रुपया की कमजोरी का असर जहां इकोनॉमी पर पड़ता है वहीं यह आम आदमी की जेब पर भी असर डालती है. आइए एक्सपर्ट्स से समझते हैं कि गिरता रुपया हमें कैसे प्रभावित करता है.
आयात-निर्यात पर सीधा असर
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, रुपया गिरने का सबसे बड़ा असर आयात पर पड़ता है. आयात होने वाले क्रूड ऑयल और इलेक्ट्रॉनिक सामान के साथ विदेशों में पढ़ाई और विदेश यात्रा दोनों महंगी हो जाती है. आयात होने वाला हर प्रोडक्ट पड़ने लगता है. आयातकों को इससे सबसे ज्यादा नुकसान होता है क्योंकि उन्हें किसी भी सामान के लिए ज्यादा पैसे चुकाने पड़ते हैं. वहीं, दूसरी तरफ निर्यातकों को यानी देश के बाहर माल बेचने वालों को काफी फायदा होता है. उन्हें डॉलर के बदले ज्यादा रुपया मिलता है.
क्या क्या महंगा
भारत पेट्रोलियम प्रोडक्ट का सबसे बड़ा खरीदार है. लिहाजा गिरते रुपया का असर ये होगा पेट्रोल-डीजल सस्ता होने की उम्मीद हमें छोड़नी पड़ेगी. तेल के अलावा बाहर से मंगाए जाने लैपटॉप, मोबाइल फोन, कार, ऑटो पार्ट्स और दूसरे उपकरण महंगे मिलेंगे. इसका सीधा असर आम आदमी की जेब पर होगा.
भारत से बड़ी संख्या में छात्र विदेशों में पढ़ाई करते हैं. उन पर भी सीधा असर होगा. उनको फीस के साथ-साथ रहने खाने का खर्च भी ज्यादा पड़ेगा. दूसरी तरफ आरबीआई के रेट हाइक के चलते एजुकेशन लोन भी ईएमआई भी बड़ जाएगी. साथ ही यात्रा में ज्यादा पैसा देना पड़ेगा.