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क्रूड ऑयल पांच महीने के निचले स्तर पर आया, हमारी इकोनॉमी और पेट्रोल-डीजल पर क्या होगा असर?

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काफी लंबे समय बाद कच्चे तेल और ईंधन के मोर्चे पर हमारे लिए अच्छी खबर नजर आ रही है. आज गुरुवार को क्रूड ऑयल 100 डॉलर प्रति बैरल के नीचे ट्रेड कर रहा है. गुरुवार दोपहर बाद क्रूड ऑयल 97 से 98 डॉलर के बीच ट्रेड कर रहा था. अगर चार्ट पर इस देखा जाए तो यह पिछले 5 महीने का निचला स्तर है. इसके पहले 16 मार्च को क्रूड ऑयल 98 डॉलर प्रति बैरल के नीचे आया था. इससे पहले 25 फरवरी को क्रूड 98 डॉलर के नीच थे. उसके बाद क्रूड इस लेवल के ऊपर ही रहा है.

कमोडिटी एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर क्रूड 97 या 95 डॉलर के नीचे आता है तो ये और नीचे आ सकता है. क्रूड का 100 डॉलर के नीचे आना हमारे देश के लिए काफी राहत भरी बात होगी. हमारे आयात में सबसे बड़ा हिस्सा क्रूड ऑयल और पेट्रोलियम का ही है.

मार्च से ही 100 डॉलर के पार
मार्च की शुरुआत के बाद से ही क्रूड ऑयल 100 डॉलर के पार चला गया. उसके बाद इक्का-दूक्का मौको को छोड़ दिया जाए तो यह लगातार 100 डॉलर के ऊपर ही चल रहा था. जैसे रूस-यूक्रेन संकट बढ़ता रहा, वैसे वैसे क्रूड भी ऊपर चढ़ता रहा. बीच में क्रूड ने 120 डॉलर का हाई लेवल भी टच कर लिया. अब जाके क्रूड 98 डॉलर के नीचे आया है और यहां से नीचे जाने की संभावना जताई जा रही है.

मार्केट एक्सपर्ट्स के मुताबिक, क्रूड का सस्ता होना हमारे लिए राहत भरी बात है. अगर क्रूड और सस्ता हुआ तो पेट्रोल-डीजल के रेट और कम हो सकते हैं. लिहाजा अर्थव्यवस्था और आम आदमी को सस्ते पेट्रोल-डीजल से थोड़ी राहत मिल सकती है.

पेट्रोलियम का आयात सबसे ज्यादा
भारत के आयात में पेट्रोलियम व क्रूड प्रोडक्ट का सबसे बड़ा हिस्सा होता है. सालाना लगभग हम 82 अरब डॉलर का पेट्रोलियम और क्रूड प्रोडक्ट आयात करते हैं. अगर क्रूड क्रूड सस्ता होता है तो यह आर्थिक सेहत के लिए भी अच्छा होगा. युद्ध की वजह से अनुमान था कि क्रूड और पेट्रोलियम के मोर्चे पर सरकार को एक लाख करोड़ रुपए का नुकसान होगा. इसमें थोड़ी राहत मिल सकती है. साथ ही अगर क्रूड कूल ऑफ हुआ तो देश का व्यापार घाटा भी कम होगा.

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