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राष्ट्रपति बनने की रेस में कौन आगे? किसके पक्ष में कितने वोट; समझें आंकड़ों का खेल

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राष्ट्रपति चुनाव को लेकर अब एक हफ्ते से भी कम का समय बचा है. 18 जुलाई को वोटिंग होगी. इसके बाद 21 जुलाई को देश के नए राष्ट्रपति के नाम का ऐलान कर दिया जाएगा. हर किसी की निगाहें दो प्रमुख कैंडिटेट पर टिकी हैं. ये हैं एनडी की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू और विपक्ष के कैंडिडेट यशवंत सिन्हा. दोनों उम्मीदवारों ने सांसदों और विधायकों को अपने-अपने पाले में करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है. वैसे देखा जाए तो कागज पर द्रौपदी मुर्मू का ही पलड़ा भारी दिख रहा है. हालांकि यशवंत सिन्हा भी लगातार अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं.

राष्ट्रपति का चुनाव प्रधानमंत्री के मुकाबले बेहद अलग होता है. यहां सीधे देश की जनता वोट नहीं डालती. वोट डालने का अधिकार सांसद और विधायक के पास होता है. हर सीट पर वोट की वैल्यू अलग होती है. आईए विस्तार से वोटों का गणित को समझते हैं और जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर कौन देश का अगला राष्ट्रपति बन सकता है….

राष्ट्रपति चुनाव में कुल कितने वोट?
राष्ट्रपति चुनाव में सांसदों और विधायकों की कुल संख्या को मिलाकर वोट की वैल्यू निकाली जाती है. इस वक्त देश में टोटल वोट वैल्यू है-1,086,431. इसमें 776 सांसदों की कुल वोट वैल्यू है- 543,200. जबकि देश के कुल 4,4033 विधायकों की वोट वैल्यू है- 543,231
क्या है बहुमत का आंकड़ा?
किसी भी उम्मीदवार को राष्ट्रपति बनने के लिए 543,216 वोटों की जरूरत होगी. ताज़ा राजनीतिक समीकरण पर नज़र डालें तो NDA के पास कुल 533,751 वोट हैं. जबकि विपक्ष के खाते में 360,362 वोट हैं.
क्या महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन ने बदल दिया है समीकरण?
21 जून को विपक्ष के 17-18 दलों ने यशवंत सिन्हा को अपना राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाने का फैसला किया. उस वक्त शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने यशवंत सिन्हा को समर्थन देने का ऐलान किया था. लेकिन अब महाराष्ट्र में सत्ता बदलते ही तस्वीर बदल गई है. एकनाथ शिंदे के समर्थक अब बीजेपी के साथ आ गए हैं. लिहाज़ा उनके वोट द्रौपदी मुर्मू को जाएंगे. इस बीच शिवसेना के बाक़ी विधायकों ने उद्धव को मुर्मू का समर्थन करने के लिए कहा. कमज़ोर पड़ चुके ठाकरे के पास विधायकों की बात मानने के अलावा कोई और दूसरा रास्ता नहीं था. लिहाजा अब वो मुर्मू का समर्थन करेंगे.
द्रौपदी मुर्मू के समर्थन में कौन-कौन सी पार्टियां?
महाराष्ट्र में सत्ता पलट के बाद यशवंत सिन्हा की उम्मीदवारी थोड़ी कमज़ोर पड़ गई है. जब भाजपा ने 18 जुलाई के चुनाव के लिए मुर्मू को अपना उम्मीदवार घोषित किया, तो एनडीए बहुमत के आंकड़े से 13,000 वोट दूर थी. इसके बाद से बसपा, शिअद, वाईएसआरसीपी, तेदेपा और बीजद का उन्हें समर्थन मिला. शिवसेना के पास 10.86 लाख वोटों में से 25,000 से अधिक वोट हैं.
यशवंत सिन्हा की दावेदारी कितनी मजबूत?
यशवंत सिन्हा विपक्ष के उम्मीदवार है. लेकिन विपक्ष की कई पार्टियां उनके समर्थन में नहीं हैं. कांग्रेस और टीएमसी उनके समर्थन में है. लेकिन बाक़ी दल क्या करेंगे इसको लेकर तस्वीर फिलहाल साफ नहीं है. झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन भी मुर्मू को वोट करेंगे. इसके अलावा आम आदमी पार्टी भी यशवंत सिन्हा के खिलाफ वोट डाल सकती है.

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