दिल्ली सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक (Single Use Plastic) मैन्युफैक्चनरिंग वाली इंडस्ट्रीज पर शिकंज कसना शुरू कर दिया है. सोमवार से एसयूपी से बने 19 चिन्हित उत्पादों के खिलाफ कार्रवाई को और तेज कर दिया गया है. दिल्ली प्रदूषण कंट्रोल कमेटी (DPCC) की ओर से प्लास्टिक थैले और पैकिंग सामग्री बनाने वाली 14 इंडस्ट्री यूनिट्स को बंद करने के निर्देश दिए हैं.
जानकारी के मुताबिक यह सभी 14 इंडस्ट्रीज स्वीकृत सीमा से कम मोटाई वाले प्लास्टिक थैले और पैकिंग सामग्री बना रही थीं. नरेला और बवाना औद्योगिक क्षेत्र में नियमों का पालन नहीं करने वाली इन इकाइयों पर 1.22 करोड़ रुपए का पर्यावरण क्षतिपूर्ति का जुर्माना भी लगाया गया है. इन इकाइयों में बनाए जा रहे प्लास्टिक थैले 75 माइक्रोन से कम मोटाई की थीं. जबकि पैकिंग सामग्री की मोटाई 50 माइक्रोन से कम पाई गई. यह प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियमों का उल्लंघन है.
बिजली वितरण कंपनी टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रिब्यूशन लिमिटेड को इन प्लास्टिक निर्माण इकाइयों का बिजली कनेक्शन काटने को भी कहा गया है. इसके अलावा डीपीसीसी ने प्रतिबंधित एसयूपी उत्पादों की बिक्री और उपयोग को लेकर 26 यूनिट्स पर पर 1.3 लाख करोड़ रुपए का जुर्माना भी लगाया है.
आधिकारिक सूत्रों की माने तो डीपीसीसी, राजस्व विभाग व एमसीडी की टीमों ने एक दिन में 729 जगहों की जांच की और 119 चालान काटे. बड़ी मात्रा में सिंगल यूज प्लास्टिक के उत्पाद भी जब्त किए गए. माना जा रहा है कि सरकार की ओर से लागू प्रतिबंधों का कड़ाई से पालन कराने के लिए अभियान और तेज किया जाएगा.
आदेशों का उल्लंघन करने वाले सभी निर्माताओं, आपूर्तिकर्ताओं, वितरकों व विक्रेताओं पर दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति, राजस्व विभाग व एमसीडी की टीमें कार्रवाई करेंगी. कार्रवाई के लिए 48 टीमें गठित की गई हैं, जिसमें 15 डीपीसीसी व राजस्व विभाग की 33 टीमें शामिल हैं. इसके अलावा एमसीडी की भी टीम इस अभियान में जुटी हुई हैं.
इस बीच देखा जाए तो डीपीसीसी सभी पंजीकृत निर्माताओं, ब्रांड मालिकों, आपूर्तिकर्ताओं व स्टॉकिस्ट का भी निरीक्षण कर पता लगा रही है कि उन्होंने अपने स्टॉक को हटाया है या नहीं. इन सभी को 30 जून तक मौजूदा स्टॉक को हटाने के निर्देश दिए गए थे.
बताते चलें कि दिल्ली में हर रोज करीब 1,140 टन प्लास्टिक कचरा पैदा होता है. इसमें 632 टन कचरा सिंगल यूज प्लास्टिक का ही होता है.