भारत पर होने वाले साइबर हमलों पर नजर रखने वाली संस्था इंडिया फ्यूचर फाउंडेशन की रिपोर्ट में चौकाने वाले खुलासे हुए हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि जब भी भारत में कोई बड़ी घटना होती है, तो उसके बाद देश पर होने वाले साइबर हमलों में बड़ी तादाद में इजाफा होता है. रिपोर्ट में कहा गया है की गलवान झड़प के बाद भारतीय साइबरस्पेस पर चीन से 40,300 बार साइबर हमला हुए. चीन की ओर से होने वाले साइबर हमलों में 200% इजाफा सिर्फ गलवान हिंसा के 1 महीने के अंदर हुआ और इन साइबर हमलों का मकसद संवेदनशील जानकारी चुराना था. वहीं नोटबंदी के बाद 80,000 बार साइबर अटैक की रिपोर्ट सामने आई.
पावर ग्रिड किसी भी विकासशील देश के बुनियादी ढांचे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और अन्य आवश्यक बुनियादी ढांचे को चालू रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. ऐसे में साइबर हमलों में पावर ग्रिड को निशाना बनाया जाता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि लद्दाख में एक महत्वपूर्ण भारतीय पावर ग्रिड पर हाल ही में साइबर हमले का प्रयास हुआ, जिसका दावा चीनी हैक्टिविस्टों द्वारा किया गया था. इन हमलों से पहले दो बंदरगाहों – मुंबई पोर्ट और तूतीकोरिन पोर्ट – और दिल्ली, कर्नाटक एवं तेलंगाना के क्षेत्रीय लोड डिस्पैच केंद्रों पर ऐसे हमले किए गए.
2020 के गलवान घाटी में हुए संघर्ष के बाद भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ गया था. रिपोर्ट में कहा गया कि गलवान संघर्ष के 4 महीने बाद, मुंबई अचानक ठप पड़ गई थी, लाखों घरों की बिजली गुल हो गई थी, ट्रेनें बंद पड़ गई थी और स्टॉक एक्सचेंज भी बंद हो गया था।. अब तक का सबसे खराब पावर आउटेज मुंबई को झेलना पड़ा था. मुंबई में ब्लैक आउट को भारत-चीन सीमा पर तनाव से जोड़कर भी देखा गया. रिपोर्ट में कहा गया है कि एक रिसर्च के तहत मुंबई पावर कट और गलवान हिंसा को जोड़कर देखा जा रहा है.