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जीका वायरस को लेकर अब स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिए राज्यों को आवश्यक निर्देश

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डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया के बाद अब जीका वायरस (Zika virus) को लेकर भी कई राज्य सरकारों ने अलर्ट जारी किया है. आपको बताा दें कि जीका वायरस के प्रसार को लेकर वैज्ञानिकों ने पिछले दिनों एक अध्ययन में बड़ा खुलासा किया था. वैज्ञानिकों को देश के कई राज्यों में जीका वायरस के प्रसार से जुड़े सुबूत मिले थे, जिसके बाद स्वास्थ्य मंत्रालय (Health Ministry) ने सभी राज्यों को अलर्ट जारी किया था.केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से तत्काल ही जमीनी स्तर पर निगरानी बढ़ाने के निर्देश दिए थे. इसके बाद से यूपी सहित देश के कई राज्यों में जीका वायरस को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी किया है.

पिछले दिनों भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के अधीन अलग-अलग केंद्रों ने मिलकर यह पता लगाया है कि देश के एक या दो नहीं बल्कि कई हिस्सों में जीका वायरस की मौजूदगी है. इस संक्रमण के साथ साथ डेंगू और चिकनगुनिया की भूमिका भी सहायक के तौर पर देखने को मिल रही है. मेडिकल जर्नल फ्रंटियर्स में प्रकाशित एक अध्ययन में साफ तौर पर वैज्ञानिकों ने कहा है कि बीते कुछ समय में भारत में जीका वायरस की गंभीर स्थिति देखने को मिली है. पिछले साल यूपी, गुजरात सहित कई राज्यों से जीका वायरस के मामले सामने आए थे. आईसीएमआर की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. निवेदिता गुप्ता के मुताबिक, पिछले साल मई से अक्तूबर के बीच देश के 13 राज्यों से 1475 मरीजों के नमूने एकत्रित करने के बाद जांच की गई थी. इस दौरान 67 मरीजों में जीका वायरस, 121 में डेंगू और 10 मरीजों में चिकनगुनिया की पुष्टि हुई थी. सभी लोगों में जीका वायरस के लक्षण मौजूद थे.

वैज्ञानिकों ने जीका वायरस को लेकर क्या कहा है?
आईसीएमआर के मुताबिक, पिछले साल 84 फीसदी रोगियों को बुखार और 78 फीसदी को शरीर पर लाल चकते उभरने के लक्षण थे. कुछ नमूनों में हमने जीका-डेंगू, जीका-चिकनगुनिया और डेंगू-चिकनगुनिया के साथ-साथ जीका तीनों लक्षण एक साथ देखे गए. इसलिए अगर अगले कुछ दिनों में यह प्रसार और बढ़ता है तो देश के लिए काफी चिंताजनक हालात हो सकते हैं.

जीका वायरस क्या है
आपको बता दें कि विश्व में जीका वायरस का पहला मामला 1947 में उगांडा में बंदरों में पाया गया था. लेकिन, इंसानों में पहला केस 1952 में मिला था. भारत में जीका का पहला मामला जनवरी 2017 में अहमदामाद में सामने आया था. उसके बाद दूसरा उसी साल जुलाई में तमिलनाडु के कृष्णागिरी ज़िले में पाया गया था. ये वायरस संक्रमित मच्छरों के जरिए इंसानों में फैलता है. लेकिन, अच्छी बात है कि जीका वायरस सभी मच्छरों से नहीं फैलता और ना ही संक्रमित मच्छरों के काटने से हर व्यक्ति वायरस संक्रमित हो सकता है. जीका वायरस का खतरा सबसे ज्यादा उन लोगों को होता है, जो जीका वायरस संक्रमण वाले इलाकों में यात्रा करते हैं.

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