देश में महंगाई के मोर्चे पर थोड़ी राहत मिलने की संभवाना नजर आ रही है. जून में देश की खुदरा मुद्रास्फीति स्थिर रहने की संभावना है. लेकिन छठे महीने के लिए इंफ्लेशन भारतीय रिजर्व बैंक की तय सीमा से काफी ऊपर है. इसकी वजह ईंधन और खाना पकाने के तेल की कीमतों में थोड़ी कमी रही. रायटर पोल्स में यह आंकड़ा सामने आया है.
खाद्य कीमतों में हाल ही में हुई उल्लेखनीय तेजी देखी गई. यह लगभग दो वर्षों में सबसे तेज गति से बढ़ी है. इसके बावजूद सरकार द्वारा पेट्रोल और डीजल पर करों में कटौती और खाद्य निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बाद मुद्रास्फीति को आंशिक रूप से नियंत्रित करने में मदद मिली है.
जून में 7.03 प्रतिशत रहने का अनुमान
लेकिन अधिकांश अर्थशास्त्रियों ने चेतावनी दी थी कि निकट अवधि का दृष्टिकोण अत्यधिक अनिश्चित रहेगा क्योंकि पिछले महीने हीटवेव ने सब्जियों की कीमतों को बढ़ा दिया था. सरकार ने उत्तर भारत में सूखे के कारण गेहूं उत्पादन के अनुमान में भी कटौती की है. 42 अर्थशास्त्रियों के 4-8 जुलाई के रॉयटर्स पोल में भाग लिया. उनके मुताबिक, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) द्वारा मापी गई मुद्रास्फीति जून में 7.03 प्रतिशत रहेगी, जो मई में 7.04 प्रतिशत के मुकाबले स्थिर है.
रिजर्व बैंक की ऊपरी सीमा से ऊपर महंगाई
यदि अनुमान के मुताबिक, मुद्रास्फीति लगातार तीसरे महीने 7 प्रतिशत से अधिक रहती है तो यह छठा महीना होगा जब इंफ्लेशन आरबीआई के 6 प्रतिशत के ऊपरी स्तर से अधिक होगी. रिजर्व बैंक के ऊपरी सीमा से मुद्रास्फीति जब अधिक रहती है तो यह काफी खराब मानी जाती है.
आरबीआई लगातार ब्याज दरों को बढ़ा रहा है
रिजर्व बैंक महंगाई रोकने के लिए लगातार जरूरी कदम उठा रहा है. पिछले दो से तीन महीने के अन्दर आरबीआई ने तीन बार रेपो रेट में बढ़ोतरी की है. आगे भी ब्याज दरों में बढ़ोतरी जारी रहेगी. रिजर्व बैंक ने पहले ही संकेत दे दिए थे कि महंगाई को रोकने के लिए ब्याज दरों को बढ़ाया जाएगा. ग्रोथ के ऊपर इंफ्लेशन रोकने को प्राथमिकता दी जाएगी. इसका थोड़ा बहुत असर नजर आ रहा है. हालांकि वैश्विक स्थितियों पर भी काफी चीजें निर्भर कर रही हैं.