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भारत के पहले स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर के लिए नेवी खरीदेगी 26 फाइटर जेट, अगले महीने से सेवा में

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भारत का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट केरियर (IAC) अगले महीने से समंदर में उतर जाएगा और यह देश की सेवा में तत्पर हो जाएगा. लेकिन भारतीय नौसेना को इस विमानवाहक पोत पर तैनाती के लिए 24 से 26 सुपरसोनिक लड़ाकू विमान की जरूरत है जिसे नौसेना तत्काल खरीदना चाहती है. यही कारण है कि नौसेना समुद्र के इस विशाल डेक से संचालित होंने वाले, 24-26 सुपरसोनिक लड़ाकू विमानों के अधिग्रहण पर तेजी से काम कर रही है.

41 में से 39 युद्धपोत का निर्माण स्वदेशी तकनीकी पर
नौसेना के वाइस एडमिरल एस एन घोरमडे ने यह बात रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता पर 18-19 जुलाई को आयोजित होने वाली स्वावलंबन सेमिनार से पहले कही. उन्होंनें कहा कि जांच की रिपोर्ट जल्दी से जल्दी जमा की जाएगी. अधिग्रहण का मामला जल्दी ही निपटाया जाएगा. नौसेना अपने 41 में से 39 युद्धपोतों के भारत में निर्माण को लेकर तेजी से काम करते हुए, स्वदेशीकरण और नवाचार की दिशा में गति से आगे बढ़ रही है. इसके लिए तय समय सीमा में तकनीकि विकास पर जोर दिया जा रहा है. इस प्रक्रिया में ट्विन इंजन वाला डेकबेस्ड लडाकू विमान (TEDBF) को डीआरडीओ में विकसित किया जा रहा है.
वर्तमान में सिर्फ एक विमानवाहक पोत भारत के पास
वर्तमान में भारत के पास केवल एक एयरक्राफ्ट केरियर 44,500 टन का आईएऩएस विक्रमादित्य मौजूद है. जिसे नवंबर 2013 को 2.33 बिलियन डॉलर में रूस से लिया गया था. इसी के डेक से संचालित करने के लिए 45 सुपरसोनिक मिग-29- के, की खरीद के लिए 2 बिलियन डॉलर और खर्च किए गए थे. टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, हालांकि अगले महीने से 40000 टन का आईएसी यानी आईएनएस विक्रांत सेवा में आ जाएगा लेकिन यह पूरी तरह से तभी संचालित होगा जब इसके डेक से लड़ाकू और हेलीकॉप्टर के संचालन की जांच पूरी हो जाएगी.

जिसका 2023 के मध्य तक होने की संभावना है.चीन जिसके पास दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना है, उसने पिछले महीने ही अपना तीसरा विमानवाहक केरियर 80000 टन वजनी फुजियान को लान्च किया, इसके साथ साथ निगरानी वाले एयरक्राफ्ट भी लॉन्च किए गये.

चीन एयरक्राफ्ट कैरियर की संख्या 10 करना चाहता
चीन अपने एयरक्राफ्ट कैरियर की संख्या 10 करना चाहता है. वहीं अमेरिकी नौसेना के पास 11, 10000 टन के परमाणु शक्ति संचालित कैरियर है. जिसमें प्रत्येक की क्षमता 80-90 लड़ाकू और एयरक्राफ्ट ले जाने की है. वाइस एडमिरल ने कहा कि रूस-युक्रेन युद्ध की वजह से 4000 टन के ग्रिगोरिविच-क्लास गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट जिसका निर्माण रूस में हो रहा है, उस पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा है. 2018 में भारत-रूस सौदे के मुताबिक पहले दो फ्रिगेट रूस में निर्मित किए जाएंगे, जिसकी लागत करीब8000 करोड़ आएगी. अगले दो का निर्माण गोवा के शिपयार्ड पर किया जाएगा.

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