एचडीएफसी के एचडीएफसी बैंक के साथ विलय के प्रस्ताव को शेयर बाजारों की मंजूरी मिल गई है. यह देश के कॉरपोरेट इतिहास में सबसे बड़ा लेनदेन है. एचडीएफसी और एचडीएफसी बैंक, दोनों को दोनों स्टॉक बाजारों से अनापत्ति ( नो ऑब्जेक्शन) मिल गई है. एचडीएफसी बैंक ने बताया कि उसे बीएसई लिमिटेड से ‘‘किसी भी प्रतिकूल टिप्पणी के बिना’’ ऑब्जर्वेशन लेटर और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड से ‘‘नो ऑब्जेक्शन’’ के साथ ऑब्जर्वेशन लेटर मिला है.
एचडीएफसी बैंक ने कहा, ‘‘यह योजना अन्य बातों के साथ ही भारतीय रिजर्व बैंक, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग, राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण और योजना में शामिल कंपनियों के संबंधित शेयरधारकों और लेनदारों से मंजूरी सहित विभिन्न वैधानिक और नियामक अनुमोदनों के अधीन है.’’
40 अरब डॉलर का सौदा
इससे पहले चार अप्रैल को देश की सबसे बड़ी आवास वित्त कंपनी एचडीएफसी लिमिटेड का निजी क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक एचडीएफसी बैंक में विलय का फैसला लिया गया था. करीब 40 अरब डॉलर के इस अधिग्रहण सौदे से वित्तीय सेवा क्षेत्र की एक बड़ी कंपनी अस्तित्व में आएगी.
कम्बाइंड एसेट बेस लगभग 18 लाख करोड़ रुपये
प्रस्तावित इकाई का कम्बाइंड एसेट बेस लगभग 18 लाख करोड़ रुपये होगा. विलय के वित्त वर्ष 24 की दूसरी या तीसरी तिमाही तक पूरा होने की उम्मीद है, जो रेगुलेटरी अप्रूवल के अधीन है. सौदा प्रभावी होने के बाद, एचडीएफसी बैंक 100 प्रतिशत सार्वजनिक शेयरधारकों के स्वामित्व में होगा और एचडीएफसी के मौजूदा शेयरधारकों के पास बैंक का 41 प्रतिशत हिस्सा होगा.
बीएसई ने क्या कहा?
प्रत्येक एचडीएफसी शेयरधारक को प्रत्येक 25 शेयरों के लिए एचडीएफसी बैंक के 42 शेयर मिलेंगे. बीएसई के अवलोकन पत्र में कहा गया है, कंपनी को सलाह दी जाती है कि वह एनसीएलटी के समक्ष दायर की जाने वाली याचिका में सेबी या किसी अन्य नियामक द्वारा किसी भी संस्था, उसके निदेशकों / प्रमोटरों और प्रमोटर समूह के खिलाफ की गई सभी कार्रवाइयों के विवरण का खुलासा करे.