देश में कल यानि 1 जुलाई 2022 से सिंगल यूज प्लास्टिक (Single use Plastic) के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है. हालांकि केंद्र सहित कई राज्य सरकारों ने अपने-अपने राज्यों में सिंगल यूज प्लास्टिक की बनी हुई सिर्फ 19 चीजों पर ही बैन लगाया है, जबकि एक व्यक्ति सैकड़ों प्लास्टिक से बनी चीजों को रोजाना इस्तेमाल करता है. बैन की गईं ये सिंगल यूज प्लास्टिक से बनीं ऐसी चीजें हैं जो आज बहुतायत में इस्तेमाल की जा रही हैं, हालांकि अभी भी इन वस्तुओं में प्लास्टिक की बोतलों (Plastic Bottle) को शामिल नहीं किया गया है. जिनका न केवल इस्तेमाल बच्चे, बड़े सहित बुजुर्ग करते हैं, बल्कि आंकड़ों के मुताबिक कुल सॉलिड वेस्ट का 8 फीसदी हिस्सा इन प्लास्टिक बोतलों से ही आता है.
देश में बैन किए गए 19 आयटमों में प्लास्टिक कैरी बैग, पॉलीथीन (75 माइक्रोन से कम मोटाई वाले), प्लास्टिक स्टिक वाले ईयर बड्स, गुब्बारों के लिए प्लास्टिक स्टिक, प्लास्टिक के झंडे, कैंडी की प्लास्टिक डंडी, आइसक्रीम की प्लास्टिक डंडी, थर्मोकॉल के सजावटी सामान, प्लास्टिक की प्लेट, कप, ग्लास, कांटे, चम्मच, स्ट्रॉ, ट्रे, मिठाई के डिब्बे पैक करने वाली पन्नी, इनविटेशन कार्ड पर लगाई जाने वाली पन्नी, सिगरेट पैकिंग में इस्तेमाल होने वाली पन्नी, 100 माइक्रोन से पतले पीवीसी व प्लास्टिक के बैनर आदि शामिल किए गए हैं जबकि प्लास्टिक की बोतलों को छोड़ दिया गया है.
मल्टी लेयर्ड पैकेजिंग भी नहीं की गई बैन
इस बारे में सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट के प्रोग्राम मैनेजर सिद्धार्थ सिंह न्यूज 18 हिंदी से बातचीत में कहते हैं कि बैन किए गए सिंगल यूज प्लास्टिक के आयटमों की सूची व्यापक नहीं है. इस सूची में सिंगल यूज प्लास्टिक वाली मल्टी लेयर्ड पैकेजिंग को शामिल नहीं किया गया है. जबकि एमएलपी का उपयोग तत्काल इस्तेमाल करने वाली चीजों जैसे चिप्स, शैंपू, गुटखा आदि के पाउचों के रूप में किया जाता है. खास बात है कि इन पैकेट्स या रैपर्स को आसानी से इकठ्ठा भी नहीं किया जा सकता है और न ही इनके रीसाइकिलिंग हो पाती है.