नईदिल्ली, केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एन.एच.आर.सी) द्वारा आयोजित संगोष्ठी में इस आशय से कहा कि रोहिंग्या समुदाय के लोग अवैध आव्रजक हैं, रोहिंग्या समुदाय मानवाधिकार से सम्बंधित विषय नहीं है, वे भारत में शरण के लिए आवेदन करने वाले शरणार्थी नहीं हैं, श्री सिंह ने कहा कि म्यामांर, रोहिंग्या लोगों को वापस लेने के लिए तैयार है, तो कुछ लोग क्यों उन्हें वापस भेजे जाने पर आपत्ति जता रहे हैं, उन्होंने कहा, रोहिंग्या शरणार्थी नहीं हैं, वे उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद यहां नहीं आए हैं, किसी भी रोहिंग्या ने शरण के लिए आवेदन नहीं किया, वे अवैध आव्रजक हैं। श्री सिंह ने कहा कि रोहिंग्या मुस्लिम देश की सुरक्षा के लिए खतरा हैं, उन्हें वापस भेजा जाएगा। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एन.एच.आर.सी) आयोग के एक कार्यक्रम में राजनाथ ने कहा, म्यांमार से अवैध तरीके से भारत में घुस आए रोहिंग्या शरणार्थी नहीं हैं, इसकी प्रक्रिया होती है। इनमें से किसी ने इसका पालन नहीं किया। राष्ट्रीय सुरक्षा अहम है, मानवाधिकार की बात करना सही नहीं। गृहमंत्री ने यह भी कहा कि भारत रोहिंग्या समुदाय के लोगों को किसी भी अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन नहीं करेगा, क्योंकि उसने संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी संधि 1951 पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। एन.एच.आर.सी ने भारत के विभिन्न हिस्सों में रह रहे रोहिंग्या लोगों को लेकर केंद्र को हाल में नोटिस भेजा था, आयोग के अनुसार, मानवाधिकारों की दृष्टी से मामले में उसका हस्तक्षेप उचित है, म्यामांर पर रोहिंग्या को लेकर विश्व का दबाव बढ़ता जा रहा है, क्योंकि यहां संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक के दौरान कई नेताओं ने म्यामांर में रोहिंग्या समुदाय के खिलाफ सैन्य अभियान को नस्ली संहार करार दिया है, संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक को संबोधित करते हुए कई नेताओं ने रोहिंग्या मामले को उठाया था और कहा गया कि सैन्य अभियान रुकना चाहिए, मानवीय मदद की गारंटी मिलनी चाहिए और कानून का राज बहाल होना चाहिए, उधर म्यामांर की प्रमुख सू की ने इस मामले में अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय से धेर्य रखने की अपील की थी।