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बिजली की मांग में 45,000 मेगावॉट तक का रिकॉर्ड उछाल, केंद्रीय मंत्री का दावा- गांवों में औसतन 23 घंटे मिल रही बिजली

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उत्तर भारत में भीषण गर्मी, अर्थव्यवस्था के विस्तार और लाखों वंचित घरों तक बिजली का कनेक्शन पहुंचने की वजह से देश में बिजली की मांग इस साल रिकॉर्ड 40,000 से 45,000 मेगावॉट प्रतिदिन बढ़ी है. केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर. के. सिंह ने एक साक्षात्कार में यह जानकारी दी है.

उन्होंने समाचार एजेंसी भाषा से साक्षात्कार में कहा कि बिजली उत्पादन क्षमता में जोरदार सुधार, देश का एक ट्रांसमिशन ग्रिड में एकीकरण और पिछले आठ साल के दौरान वितरण प्रणाली के मजबूत होने की वजह से आज सरकार प्रतिदिन 23 से 23.5 घंटे बिजली की आपूर्ति कर पा रही है.

9 जून को सर्वकालिक उच्च स्तर पहुंची मांग
भारत की बिजली की मांग 9 जून को सर्वकालिक उच्चस्तर 2,10,792 मेगावॉट पर पहुंच गई थी. उस दिन बिजली की खपत 471.2 करोड़ यूनिट रही थी. केंद्रीय मंत्री ने कहा, “बिजली संयंत्र अपनी पूरी क्षमता पर परिचालन कर रहे हैं जिससे इस मांग को पूरा किया जा सके. सरकार ने घरेलू आपूर्ति को बढ़ाने के लिए कोयला आयात के ऑर्डर दिए हैं.” सिंह ने एक एनजीओ के सर्वेक्षण का हवाला देते हुए कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली 12.5 घंटे मिलती थी “आज यह आंकड़ा 22.5 घंटे पर पहुंच चुका है.” उन्होंने दावा किया कि भारत आज बिजली अधिशेष (सरप्लस) वाला देश बन चुका है.

आठ साल में बढ़ाई गई क्षमता
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आठ साल में 1,69,000 मेगावॉट बिजली क्षमता जोड़ी गई है. उन्होंने कहा कि कुल बिजली क्षमता 4,00,000 मेगावॉट (400 गीगावॉट) पर पहुंच चुकी है. वहीं, अधिकतम बिजली की मांग 215 गीगावॉट ही है. बकौल केंद्रीय मंत्री, 1.66 लाख सर्किट किलोमीटर ट्रांसमिशन लाइन बिछाने के बाद आज पूरे देश को एक ग्रिड से जोड़ा गया है और पुरानी लाइनों को बदलकर वितरण प्रणाली को बेहतर किया गया है

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