कांग्रेस ने गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के सरकार के कदम को ‘किसान विरोधी’ करार देते हुए शनिवार को दावा किया कि सरकार ने गेहूं की पर्याप्त खरीद नहीं की जिस कारण ऐसी स्थिति पैदा हुई कि उसे निर्यात पर रोक लगानी पड़ी. पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा, ‘मेरा मानना है कि केंद्र सरकार पर्याप्त गेहूं खरीदने में विफल रही है. ऐसा नहीं है कि गेहूं की पैदावार कम हुई है. यह कुल मिलाकर पहले की तरह है. हो सकता है कि पहले के मुकाबले थोड़ी ज्यादा पैदावार हुई हो.’
उन्होंने कहा, ‘यह एक किसान विरोधी कदम है. मुझे हैरानी नहीं है क्योंकि यह सरकार कभी भी किसान हितैषी नहीं रही है.’ चिदंबरम ने कहा कि अगर पर्याप्त खरीद की गई होती तो गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की जरूरत नहीं पड़ती. भारत ने घरेलू स्तर पर बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के उपायों के तहत गेहूं के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया है. आधिकारिक अधिसूचना से यह जानकारी मिली है.
हालांकि, विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने 13 मई को जारी अधिसूचना में कहा, इस अधिसूचना की तारीख या उससे पहले जिस खेप के लिए अपरिवर्तनीय ऋण पत्र (एलओसी) जारी किए गए हैं, उसके निर्यात की अनुमति होगी.’ नोटिफिकेशन में आगे कहा गया कि भारत सरकार पड़ोसी और अन्य कमजोर विकासशील देशों की खाद्य सुरक्षा आवश्यकताओं को प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो गेहूं के वैश्विक बाजार में अचानक बदलाव से प्रतिकूल रूप से प्रभावित हैं और पर्याप्त गेहूं की आपूर्ति तक पहुंचने में असमर्थ हैं.