मोदी सरकार (Modi government) ने काम में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई करनी शुरू कर दी है. बुधवार को रेलवे मंत्रालय (Railway Ministry) ने 19 अधिकारियों को नौकरी से बाहर का रास्ता दिखा दिया. इनमें से 10 अधिकारी संयुक्त सचिव स्तर के समकक्ष अधिकारी थे, जो रेलवे के अलग-अलग मंडलों और रेल, कोच फैक्टरी में तैनात थे. इसके अलावा पिछले 11 माह में 75 अधिकारियों को वीआरएस (voluntary retirement scheme) दिया गया है, इन पर निष्ठा से काम न करने और लापरवाही बरतने का आरोप था. इस तरह की कार्रवाई से साफ सरकार का साफ संदेश है कि काम के दौरान लापरवाही और भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
भारतीय रेलवे ने 56 जे के तहत कार्रवाई करते हुए बुधवार को 19 अधिकारियों को नौकरी से तत्काल प्रभाव से हटा दिया है. ये वरिष्ठ अधिकारी थे, जो रेलवे में डीआरएम या इससे ऊपर पदों पर तैनात थे. रेलवे सूत्रों के अनुसार इनमें से ज्यादातर अधिकारियों पर विजिलेंस की जांच में भ्रष्टाचार साबित हुआ है. नौकरी से हटाए गए ये अधिकारी पश्चिमी रेलवे, एमसीएफ, मध्य रेलवे, सीएलडब्ल्यू, नार्थ फ्रंट रेलवे, पूर्व रेलवे, दक्षिण पश्चिमी रेलवे, डीएलडब्ल्यू, उत्तर मध्य रेलवे, आरडीएसओ, ईडी सेल का सेलेक्शन ग्रेट और उत्तर रेलवे में विभिन्न पदों पर तैनात थे. इनमें 10 अधिकारी एसएजी ग्रेड के अधिकारी यानी सामान्य भाषा में संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी थे.
नौकरी से हटाए गए अधिकारियों में इलेक्ट्रिकल के चार, पर्सनल के दो, मेडिकल के तीन, स्टोर के एक, मैकेनिकल का एक, सिविल इंजीनियरिंग के तीन, सिग्नलिंग के चार और ट्रैफिक का एक अधिकारी शामिल है.
रेलवे मंत्रालय पिछले करीब एक साल से नाकारा अधिकारियों पर कार्रवाई कर रहा है. जुलाई से लेकर अब तक यानी 11 माह में 75 अधिकारियों को वीआरएस दिया गया है. इसमें जीएम, सेक्रेटरी स्तर के अधिकारी भी शामिल हैं, जिन पर नौकरी के प्रति निष्ठा न रखने वाले और लापरवाही के आरोप थे. सबसे ज्यादा जनवरी माह में अधिकारियों को वीआरएस दिया गया. इस माह में 11 अधिकारियों को वीआरएस दिया गया है.