पिछले 6 सालों का रिकॉर्ड तोड़ते हुए हिट स्ट्रोक ने इस साल अबतक 25 लोगों की जान ले ली है. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि मार्च और अप्रैल में हीट स्ट्रोक के 374 से अधिक मामले सामने आए हैं. हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हीट स्ट्रोक से सबसे ज्यादा मौतें विदर्भ (15) में हुई हैं. इसके बाद मराठवाड़ा में छह और उत्तर महाराष्ट्र के जलगांव में चार मौतें हुई हैं. विदर्भ में नागपुर में 11, अकोला में 3 और अमरावती में एक मौत हुई है. मराठवाड़ा और जालना में दो-दो लोगों की जान गई है, जबकि औरंगाबाद, हिंगोली, उस्मानाबाद और परभणी में एक-एक मौत हुई है. वहीं नागपुर डिवीजन में सबसे ज्यादा 295 हीट स्ट्रोक के मामले सामने आए हैं.
पिछले दो सालों की बात करें तो राज्य में हीट स्ट्रोक से एक भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई थी. वहीं साल 2019 में सिर्फ 9 लोगों की जान हीट स्ट्रोक की वजह से हुई थी. मगर इस साल गर्मी लोगों पर कहर बनकर टूट रही है. साल 2022 में हीट स्ट्रोक महाराष्ट्र के लोगों के लिए काल बन गया है. उत्तर और मध्य महाराष्ट्र, मराठवाड़ा और विदर्भ के जिलों में पिछले कुछ दिनों से तापमान 40 से 46 डिग्री सेल्सियस के बीच है. ऐसे में लोगों को दिन में निकला मुश्किल हो गया है. वहीं मौसम विभाग का कहना है कि मई में भी राज्य के लोगों को भीषण गर्मी का सामना करना पड़ेगा, लिहाजा सावधानी बरतना जरूरी है.
क्या है हीट स्टोक?
गर्मी के मौसम में कई सारी परेशानियां पैदा होती हैं.हीट स्ट्रोक या सन स्ट्रोक उनमें से एक कॉमन है. हीट स्ट्रोक यानि लू लगना या गर्मी के कारण बुखार के दौरान शरीर का तापमान काफी बढ़ जाता है. यह करीब 105-106 डिग्री फारेनहाइट या इससे ज्यादा तक पहुंच जाता है. इस दौरान शरीर को ठंडा रखने वाला सिस्टम काम नहीं करता है और व्यक्ति को जरा भी पसीना नहीं आता है.
समय पर इलाज है जरूरी
हीट स्ट्रोक का अगर समय पर इलाज न किया जाए तो शरीर का कोई भी अंग इसकी वजह से खराब हो सकता है जैसे ब्रेन, हार्ट, किडनी, लिवर या अन्य कोई भी अंग. यही वजह है कि हीट स्ट्रोक के इलाज से ज्यादा इससे बचाव सबसे पहले जरूरी है.
सावधान रहें
मौसम के मिजाज को देखते हुए स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी लोगों को लगातार गर्मी और लू से बचाव के लिए सलाह दे रहे हैं. बुजुर्गों से लेकर बच्चों को दोपहर में घर से बाहर न निकलने का सुझाव दे रहे हैं. साथ ही इस दौरान बचाव के अन्य तरीके भी अपनाने के लिए कह रहे हैं.