वित्त वर्ष 2020-21 में 315 करोड़ रुपये की निकासी के साथ निवेशकों का सस्टेनेबल या एनवायरमेंटल, सोशल और गवर्नेंस (ESG) फंड्स की ओर रुझान बढ़ना अभी बाकी है. निकासी का यह ट्रेंड यह वित्त वर्ष 2020-21 में 4,884 करोड़ रुपये का चौंका देने वाला निवेश के बाद बाद आया है. मॉर्निंगस्टार इंडिया की ओर से संकलित आंकड़ों के अनुसार, इससे पहले सस्टेनेबल फंड में 2,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश हुआ था. विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में सस्टेनेबल फंड भारत में फंड मैनेजर्स के लिए इनवेस्टिंग फ्रेमवर्क का अभिन्न हिस्सा बन जाएगा.
मॉर्निंगस्टार इंडिया के डायरेक्टर-मैनेजर रिसर्च कौस्तुभ बेलापुरकर ने कहा कि सस्टेनेबल फंड में अब तक अधिकांश निवेश नए फंड ऑफर (NFO) की अवधि और वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान हुआ. उस दौरान कई ईएसजी फंड्स लांच हुए. इनमें आदित्य बिरला सन लाइफ ईएसजी, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल ईएसजी. कोटक ईएसजी अपॉर्च्यूनिटीज, क्वांट ईएसजी इक्विटी फंड, इंवेस्को इंडिया ईएसजी इक्विटी और मिराई एसेट ईएसजी सेक्टर लीडर्स ईटीएफ शामिल हैं.
रिलेटिविटी इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स के मैनेजिंग पार्टनर नकुल जावेरी ने कहा कि फिलहाल बाजार अस्थिर हैं. मैक्रो और माइक्रो दोनों स्थितियों के कारण सभी एसेट क्लास में प्रवाह प्रभावित होता है. उन्होंने कहा, “हालांकि, परिभाषा के अनुसार सस्टेनेबल फंडों में लंबी अवधि की आवश्यकता होती है. ये फंड लंबी अवधि में प्रतिस्पर्धात्मक लाभ बेहतर ढंग से दे सकते. पिछले साल की तुलना में अब कोविड महामारी को लेकर लचीलापन है. इस तरह के फंड हमेशा कम अस्थिर होंगे.”