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खाद्य तेल की बढ़ती कीमतों ने निकाला लोगों का ‘तेल’, महंगाई के दबाव में अब गुणवत्ता से समझौते को मजबूर

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एक सर्वेक्षण के अनुसार, देश में खाद्य तेल की बढ़ती कीमतों ने कई लोगों को इसकी खपत कम करने व कई अन्य को खाद्य तेल की गुणवत्ता से समझैता करने पर मजबूर कर दिया है. LocalCircles के सर्वे में 359 जिलों से 360000 प्रतिक्रियाएं ली गई हैं. इसमें यह भी पाया गया है कि 67 फीसदी घरों में खाद्य तेल के लिए अधिक भुगतान किए जाने के कारण उनकी बचत कम होती जा रही है.

यह सर्वे ऐसे समय में हुआ है जब खाद्य तेलों के दामों में पिछले 12 महीनों में 50-100 फीसदी और बीते 45 दिनों में 25-40 फीसदी का उछाल आया है. वहीं, मौद्रिक नीति समिति की घोषणाओं के दौरान आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि खाद्य तेलों के दाम नजदीकी भविष्य में उच्च स्तर पर ही रहेंगे. उन्होंने कहा, “काला सागर क्षेत्र से आपूर्ति घटने व मुख्य उत्पादकों द्वारा तेल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाए जाने के कारण निकट भविष्य में तेल के दामों में तेजी बनी रहेगी.”

बचत में हो रही कमी
बढ़ते दामों को लेकर 50 फीसदी लोगों का कहना है कि वह उतना ही खाद्य तेल इस्तेमाल कर रहे हैं जितना पहले करते थे लेकिन उसके लिए अपनी बचत में से बहुत अधिक कीमत चुका रहे हैं. वहीं, 17 फीसदी लोगों का कहना है कि उन्होंने तेल के इस्तेमाल में कमी नहीं कि है लेकिन गैर-जरुरी चीजों पर खर्च घटा दिया है. यह दिखाता है कि 67 फीसदी लोग अपने खर्चे या बचत घटाकर खाद्य तेल पर अधिक खर्च कर रहे हैं. 24 फीसदी लोगों ने कहा है कि उन्होंने खपत को घटा दिया है लेकिन खर्च तब भी उतना ही है जितना पहले था. 6 फीसदी लोगों को बढ़ी हुई कीमतों के बारे में पता नहीं था जबकि 3 फीसदी लोगों ने कोई जवाब नहीं दिया.

गुणवत्ता को घटाया
29 फीसदी परिवारों ने कहा है कि उन्होंने खाद्य तेल की गुणवत्ता को घटा दिया है. उनका कहना है कि वह निचले दर्जे का तेल इस्तेमाल कर रहे हैं. 67 फीसदी परिवारों का कहना है कि उन्होंने अपने पसंदीदा खाद्य तेल को नहीं बदला है.

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