2 साल का अनुभव होना चाहिए. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) महंगे कच्चा तेल को ध्यान में रखकर शायद महंगाई दर के आंकड़े को बढ़ा सकता है. हालांकि, उम्मीद है कि वह मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करेगा. केंद्रीय बैंक रिकवरी के लिए नए जोखिमों का सामना कर रही अर्थव्यवस्था की मदद के लिए अन्य नीतिगत साधनों का इस्तेमाल कर सकता है. आरबीआई की बुधवार से शुरू हुई दो दिवसीय मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक 8 अप्रैल तक चलेगी. बैठक में केंद्रीय बैंक के प्रमुख शक्तिकांत दास के सामने सबसे अहम बात यह होगी कि सरकार के 14.31 ट्रिलियन रुपये कर्ज लेने की योजना में कैसे मदद दी जाए.
ब्लूमबर्ग के सर्वे में सभी अर्थशास्त्रियों ने उम्मीद जताई है कि केंद्रीय बैंक की छह-सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति शुक्रवार को रेपो रेट 4 फीसदी पर रखेगी. हालांकि इससे पहले बुधवार को किए गए 27 में से केवल 3 पोल में रिवर्स री-परचेज रेट में वृद्धि देखी गई. बदले दृष्टिकोण से अनुमान लगाया जा रहा है कि शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में ब्याज दरें यथावत रह सकतीं हैं. ब्याज दरों में बदलाव नहीं होने से आपको सस्ते कर्ज मिलने का सिलसिला जारी रह सकता है.
केंद्रीय बैंक ने बीती समीक्षा बैठक में लगातार 10वीं बार नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया था. फिलहाल रेपो रेट 4 फीसदी पर बनी हुई है. रिवर्स रेपो रेट की चर्चा करें, तो यह 3.5 फीसदी पर बरकरार है. पूर्व में आई रिपोर्ट के अनुसार, रिजर्व बैंक इस बार भी ब्याज दरों पर अपनी यथास्थिति को कायम रख सकता है. वैसे, रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध से उपजे भू-राजनैतिक हालातों के चलते केंद्रीय बैंक के रुख में बदलाव भी संभव है.
अमेरिकी फेड ने बढ़ाईं थीं दरें
40 वर्षों में सबसे अधिक महंगाई का सामना करने वाले अमेरिका में फेडरल रिजर्व ने इस पर अंकुश लगाने के लिए पिछले दिनों ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी की थी. कई अन्य देशों के केंद्रीय बैंकों ने भी ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है. इससे आशंका जताई जा रही है कि भारत का केंद्रीय बैंक भी ब्याज दरों में बदलाव करेगा. वैसे, इसका फैसला कल यानी शुक्रवार को सामने आ जाएगा.