हम यहां आपको उन सारी बातों और हालात के बारे में सवाल-जवाब की शक्ल में बताएंगे, जिसके चलते श्रीलंका आजादी के बाद पहली बार इतनी खराब आर्थिक स्थिति में पहुंच चुका है कि पूरा देश त्राहि-त्राहि कर रहा है. खाने के लिए लोगों के पास कुछ बचा नहीं है. पेट्रोल खत्म है. बिजली है नहीं, अस्पतालों का कामकाज रुक गया है, देश पर मोटा कर्ज चढ़ चुका है – लोग सड़कों पर आ गए हैं-आखिर किसी देश के इससे भी खराब देश और क्या आएंगे.
श्रीलंका में मौजूदा स्थिति क्या है?
श्रीलंका की मौजूदा स्थिति वाकई बहुत खराब है. खाने के लिए राशनिंग हो गई है. खाने के सामानों के लिए लोगों को लाइन में लगना पड़ रहा है. उसमें भी बवाल हो रहा है. बहुत से लोगों के पास खाना एकदम खत्म हो चुका है. बिजली की जबरदस्त कटौती हो रही है. आधिकारिक तौर पर ये कटौती 10 घंटे है लेकिन सही मायनों में बिजली की स्थिति और खराब है. पेट्रोल पंपों पर लंबी कतारे हैं और लोगों से कह दिया गया है कि गाड़ी वहीं खड़ी करके वापस चले जाएं, जब तेल आएगा तो बता दिया जाएगा. देश की विदेशी मुद्रा का भंडार खाली हो चुका है. महंगाई कई गुना ज्यादा बढ़ गई है. पूरा देश हैरान है कि वो इस हालत में कैसे आ गए. श्रीलंका के लोग अब नावों के जरिए वहां से निकलकर पड़ोसी देशों की ओर भाग रहे हैं.
श्रीलंका में इतनी खराब स्थिति यकायक आ गई या पहले से खराब हालात बनने लगे थे?
वर्ष 2010 में श्रीलंका की अर्थव्यवस्था कुचांले मार रही थी. देश की आर्थिक विकास दर 08 फीसदी से ज्यादा थी लेकिन पिछले 03-04 सालों में अर्थव्यवस्था बिगड़नी शुरू हुई. फिर कुछ ऐसी अपरिहार्य स्थितियां भी ऐसी आ गईं कि श्रीलंका जिस खराब हालत को कुछ महीनों आगे तक खींच सकता था, वो अभी हो गई. हालांकि ये तय था कि श्रीलंका सरकार ने पिछले कुछ सालों में जो गलत फैसले लिए हैं, उसका असर ये होना ही है. इसमें कोविड का भी जबरदस्त योगदान रहा, जिसमें सही मायनों टूरिज्म इकोनॉमी वाले इस देश की कमर ही तोड़ दी. रही सही कसर वहां के खराब मानसून और रूस-यूक्रेन की मौजूदा लड़ाई ने तोड़ दी. कहा जा सकता है कि श्रीलंका को आफत ने इस समय चारों ओर से घेरा है और उसका हमला हर ओर से हुआ है.
सरकार के गलत फैसले क्या रहे?
जब गोटाबायो सरकार 2019 में सत्ता में आई तभी श्रीलंका की आर्थिक स्थिति कुछ डांवाडोल लग रही थी. महंगाई बढ़ रही थी. देश में असंतोष भी था. इसे नजरंदाज करते हुए या सभी को खुश करने के लिए सरकार ने सभी लोगों के टैक्स आधे कर दिए. इसके बाद तुरंत ये आदेश अनिवार्य कर दिया गया कि अब देश में रासायनिक खेती बिल्कुल बंद है और अब केवल आर्गनिक खेती होगी. वैसे भी श्रीलंका एग्रीकल्चर में बहुत उन्नत देश तो नहीं है लेकिन चावल, चाय और रबर की पैदावार करता था, जिससे उसे भरपूर विदेशी मुद्रा मिलती थी. चावल बड़े पैमाने पर देश में भी खप जाता था. आर्गनिक खेती के चलते देश की सारी खेती चौपट हो गई. पैदावार खत्म हो गई. क्योंकि वहां 90 फीसदी खेती रासायनिक खादों से होती थी. इसके चलते बाहर से बडे़ पैमाने पर अनाज, दाल और तेल का आयात शुरू किया गया. विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव बढने लगा.