भारत अब डिजिटल इंडिया बन चुका है. तकनीक के विकास से तमाम काम चुटकियों में हो रहे हैं. लेकिन जिस जिस तेजी से डिजिटल लेन-देन बढ़ रहा है, उसी स्पीड से ऑनलाइन फ्रॉड की घटनाएं बढ़ रही हैं. अब चोर भी स्मार्ट हो गए हैं. किसी को लुटने के लिए उन्हें किसी के घर जाना नहीं पड़ता, किसी की पॉकेट उड़ानी नहीं पड़ती. सब काम घर बैठे-बैठे एक क्लिक में आराम से हो जाता है. इसलिए जरूरी है कि डिजिटल लेनेदेन करते समय हमेशा सतर्क रहें.
साइबर फ्रॉड करने वाले लोग ऐसे तरीके अपना रहे हैं जिनसे आपके बैंक खाते में रखी रकम पलक झपकते ही गायब हो सकती है.
गोपनीय जानकारी साझा करना
शीर्ष बैंक कहता है कि अपनी गोपनीय जानकारी साझा करना फर्जीवाड़े का सबसे बड़ा कारण है. अक्सर लोग अनजाने में या फिर विश्वास में आकर सोचते-समझते हुए भी बैंक खाते या ऑनलाइन ट्रांजैक्शन से जुड़ी जानकारी शेयर कर देते हैं. कई बार लॉटरी जीतने, खास ऑफर मिलने या फिर किसी सुविधा के नाम पर आप अपने डेबिट या क्रेडिट कार्ड की जानकारी शेयर कर बैठते हैं. जैसे ही आपके बैंक कार्ड की डिटेल किसी फ्रॉडस्टर्स के हाथ लगती है तो वह आपके बैंक खाते में जमा रकम अपने खाते में ट्रांसफर करने में देर नहीं लगाता.
ऑनलाइन सामान खरीदने-बेचने के दौरान
देखने में आया है कि ऑनलाइन सामान बेचने के दौरान ठगी की सबसे ज्यादा घटनाएं होती हैं. जब आप अपने किसी सामान की बिक्री के लिए उसे किसी ऑनलाइन सेल्स प्लेटफॉर्म पर शेयर करते हैं, साइबर ठग खरीदार बनकर ठगने का काम करते हैं. ऐसे मामले सामने आए हैं जिसमें साइबर ठग खुद को सुरक्षा एजेंसी से जुड़े कर्मचारी या अधिकारी बताते हुए पेमेंट ऐप के ऐसे फीचर का इस्तेमाल करते हैं जिससे पैसा मिलने के बजाय उल्टा आपके अकाउंट से ट्रांसफर होकर ठग के खाते में चला जाता है.