नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने शनिवार को कहा कि आठ फीसदी की वृद्धि दर कायम रहती है तो भारत की अर्थव्यवस्था सात-आठ साल में दोगुनी हो सकती है. कुमार ने यहां एक कार्यक्रम में कहा कि ऐसा हो पाना संभव भी है क्योंकि अर्थव्यवस्था ने लंबे समय तक 8.5 फीसदी की वृद्धि दर कायम रखी है.
कुमार ने कहा, ‘‘सब कुछ सामान्य रहता है, महामारी की चौथी लहर यदि नहीं आती है या यूक्रेन संकट का गंभीर असर नहीं पड़ता है तो हम आठ फीसदी की दर से वृद्धि कर सकते हैं क्योंकि हमने पहले भी ऐसा किया है. यदि ऐसा होता है तो 7-8 साल में अर्थव्यवस्था दोगुनी हो सकती है.’’ उन्होंने कहा कि 5000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य बेमानी नहीं है क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था पहले से ही 2700 अरब डॉलर हो चुकी है.
आरबीआई गर्वनर ने कहा था नकदी की कमी नहीं होने देंगे
पिछले हफ्ते बिजनेस चैंबर सीआईआई के एक कार्यक्रम में संबोधित करते हुए आरबीआई गर्वनर शक्तिकांत दास ने कहा कि मार्च, 2020 में कोरोना महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था में अबतक 17 लाख करोड़ रुपये की पूंजी डाली गयी है. उन्होंने उद्योगजगत को भरोसा दिलाया था कि आरबीआई अर्थव्यवस्था में नगदी की कमी नहीं होने दी जाएगी और पर्याप्त नकदी की उपलब्धता सुनिश्चित करता रहेगा.
उन्होंने कहा कि कर्ज सस्ता करने के लिए आरबीआई ने रोपे रेट में 75 बेसिस प्वाइंट की कमी की है. और जब फाइनैंशियल मार्केट संकट में था जो अपने नगदी डालने के लिए कई उपायों की घोषणा की.
हालांकि तात्कालिक परिस्थितयों में अर्थव्यवस्था के थोड़ा मुश्किल समय चल रहा है. एक दिन पहले ही संयुक्त राष्ट्र (UN) की संस्था अंकटाड (UN Conference on Trade and Development – UNCTAD) ने भारत की आर्थिक वृद्धि के अपने अनुमान में कटौती की है. अंकटाड की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022 में भारत की इकोनॉमी (Indian Economy) 4.6 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी. युद्ध और बढ़ती महंगाई दुनिया के लिए मुश्किल खड़ी कर रही है.