ग्लोबल मार्केट में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों का बोझ घटाने के लिए कंपनियों ने डीजल की कीमतों में 25 रुपये प्रति लीटर का बड़ा इजाफा किया है. अब पेट्रोल पंप पर थोक उपभोक्ताओं (Wholesale Consumers) को डीजल 25 रुपये महंगा मिलेगा.
दरअसल, बस संचालकों की ओर से और मॉल में इस्तेमाल होने वाले डीजल की थोक खरीद में हो रहे गड़बड़झाले और घाटे की भरपाई के लिए यह कदम उठाया गया है. अब इन बस संचालकों और मॉल की ओर से डीजल की खरीद के लिए 25 रुपये ज्यादा चुकाने होंगे. हालांकि, खुदरा ग्राहकों पर इस खरीद का कोई असर नहीं पड़ेगा.
ऐसे चल रहा था गड़बड़झाला
दिल्ली में पेट्रोल पंप पर डीजल का खुदरा रेट 86.67 रुपये प्रति लीटर है, जबकि मॉल, बस जैसे कारोबारी इस्तेमाल के लिए थोक में खरीदे जाने वाले डीजल का मूल्य 115 रुपये प्रति लीटर है. करीब 25 रुपये के इस बड़े अंतर की वजह से थोक कारोबारी सीधे कंपनियों से तेल खरीदने के बजाए पेट्रोल पंप से ले रहे थे. इससे डीजल की थोक बिक्री करने वाली कंपनियों नायरा एनर्जी, जियो-बीपी और शेल को काफी नुकसान हो रहा था.
अचानक बढ़ गई पेट्रोल पंप पर बिक्री
मार्च में पेट्रोल पंप पर बिक्री में 20 फीसदी का बड़ा उछाल दिखा, क्योंकि बस संचालक और मॉल के मालिक सीधे कंपनियों के बजाए पेट्रोल पंप से सस्ता डीजल खरीद रहे थे. इससे थोक बिक्री करने वाली कंपनियों को लगातार घाटा हो रहा था. इसे देखते हुए अब पेट्रोल पंप पर भी थोक बिक्री वाले डीजल के मूल्य में 25 रुपये प्रति लीटर का इजाफा कर दिया गया है, ताकि इन कंपनियों को घाटे से बचाया जा सके.
बंद होने की कगार पर थे पंप
डीजल की थोक बिक्री करने वाली कंपनियों को लगातार घाटा होने की वजह से अपने पंप बंद करने पड़ते, क्योंकि 2008 में जियो-बीपी ने अपनी बिक्री घटने से 1,432 पंप बंद कर दिए थे. कंपनी के पास अब 1,454 पंप हैं, जबकि नायरा एनर्जी के पास 6,510 पंप हैं. देश के 90 फीसदी पेट्रोल पंप सरकारी कंपनियों के पास हैं, जिनकी कुल संख्या 81,699 है.
15 दिनों तेजी से बढ़ी बिक्री
निजी खुदरा कंपनियों ने अपने बिक्री आंकड़े नहीं दिए हैं, लेकिन सरकार कंपनियों के आंकड़ों से पता चलता है कि पेट्रोल पंप पर तेल की बिक्री 1-15 मार्च के बीच काफी बढ़ गई है. इस दौरान कंपनियों ने 35.3 लाख टन डीजल बेचा जो एक महीने पहले की तुलना में करीब 32.8 फीसदी ज्यादा है. यह कोविड पूर्व स्तर से भी 17.3 फीसदी ज्यादा पहुंच गई है.