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जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा की भारत यात्रा क्यों है महत्वपूर्ण? 5 पॉइंट्स में समझिए

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जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा सत्ता संभालने के बाद अपनी पहली भारत यात्रा पर शनिवार शाम नई दिल्ली पहुंचे. भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा की मुलाकात के बाद, शनिवार शाम को दोनों राष्ट्र प्रमुखों के बीच द्विपक्षीय वार्ता की. इस द्विपक्षीय वार्ता में भारत-जापान के आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत बनाने सहित निवेश के कई मुद्दों पर बातचीत हुई. जापान ने निवेश प्रोत्साहन साझेदारी के तहत, अगले 5 वर्षों में भारत में 3,20,000 करोड़ रुपये के निवेश लक्ष्य की घोषणा की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत-जापान के बीच आर्थिक साझेदारी में प्रगति हुई है. जापान भारत में सबसे बड़े निवेशकों में से एक है. हम आपको 5 कारण बता रहे हैं कि फुमियो किशिदा की भारत यात्रा क्यों महत्वपूर्ण है…?

1. हिरोशिमा के मूल निवासी फुमियो किशिदा ने 4 अक्टूबर, 2021 को जापान के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी. वह हिरोशिमा से सांसद भी रह चुके हैं. वह पहले जापान के विदेश मंत्री थे. उस क्षमता में किशिदा 4 बार पीएम मोदी से मिल चुके हैं. उन्होंने लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी की नीति अनुसंधान परिषद के अध्यक्ष के रूप में भी पीएम मोदी से मुलाकात की. जब वह विदेश मंत्री थे तब भी उन्होंने भारत का दौरा किया था.

2. जापान के प्रधानमंत्री के रूप में फुमियो किशिदा की यह पहली भारत यात्रा है. यह उनकी पहली द्विपक्षीय यात्रा भी है (उन्होंने सीओपी26 के लिए ग्लासगो का दौरा किया). यह किसी दूसरे देश के सरकार के प्रमुख/राज्य स्तर के प्रमुख की इस वर्ष भारत की पहली यात्रा भी है. जापान में 2018 में हुए पिछले शिखर सम्मेलन के 3.5 साल बाद भारतीय और जापानी प्रधानमंत्रियों के बीच यह बैठक हुई है.

इस वर्ष भारत-जापान राजनयिक संबंधों की स्थापना (28 अप्रैल 1952) की 70वीं वर्षगांठ भी है. प्रधानमंत्री मोदी ने फुमियो किशिदा के पद ग्रहण करने के तुरंत बाद अक्टूबर 2021 में फोन पर उनसे बात की थी. दोनों नेताओं ने भारत और जापान के बीच विशेष सामरिक और वैश्विक साझेदारी को और मजबूत करने की इच्छा व्यक्त की. उभरती हुई भू-राजनीतिक और आर्थिक स्थिति को देखते हुए, दोनों पक्ष अपनी साझेदारी को गहरा करने पर विचार कर रहे हैं.

3. दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच मुक्त, खुले और समावेशी इंडो-पैसिफिक को लेकर बातचीत हुई. रक्षा और सुरक्षा और क्षेत्रीय संदर्भ में प्रगति पर बातचीत हुई. भारत और जापान ने आपूर्ति और सेवा समझौते (RPSS) के पारस्परिक प्रावधान पर हस्ताक्षर किए थे. इसे लेकर पहली 2+2 मंत्रिस्तरीय बैठक नवंबर 2019 में हुई थी.

भारत-जापान एक्ट ईस्ट फोरम की स्थापना के लिए दोनों देशों के राष्ट्र प्रमुखों के बीच 2017 के शिखर सम्मेलन में बात हुई थी. इसका उद्देश्य पूर्वोत्तर भारत में कनेक्टिविटी, वन प्रबंधन, आपदा जोखिम में कमी और क्षमता निर्माण के क्षेत्रों में विकास परियोजनाओं का समन्वय करना है. मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम में राजमार्गों के उन्नयन सहित कई परियोजनाएं चल रही हैं. पीएम ने पिछले साल असम और मेघालय के बीच ब्रह्मपुत्र नदी पर 20 किलोमीटर लंबे पुल की आधारशिला रखी थी.

4. पीएम मोदी की 2014 में हुई जापान यात्रा के बाद से, दोनों देशों द्वारा लिए गए कई महत्वपूर्ण निर्णयों के कार्यान्वयन पर जबरदस्त प्रगति हुई है. दोनों देशों ने भारत में सार्वजनिक और निजी निवेश में 3.5 ट्रिलियन जापानी येन का लक्ष्य हासिल किया है जिसकी घोषणा 2014 में पीएम मोदी और पूर्व जापानी पीएम शिंजो आबे ने की थी. आज भारत में 1,455 जापानी कंपनियां हैं. ग्यारह जापान औद्योगिक टाउनशिप (JIT) की स्थापना की गई है, जिसमें राजस्थान में नीमराना और आंध्र प्रदेश में श्री सिटी में सबसे अधिक कंपनियां हैं.

भारत में एफडीआई का 5वां सबसे बड़ा स्रोत जापान है; ओडीए का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता (भारत का विकास भागीदार) है. जापानी के सहयोग से भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी कई प्रमुख परियोजनाएं प्रगति पर हैं, जिनमें मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल, डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर, मेट्रो परियोजनाएं, डीएमआईसी आदि शामिल हैं. पिछले साल पीएम मोदी ने वाराणसी में जापान के सहयोग से बने कन्वेंशन सेंटर (रुद्राक्ष) का उद्घाटन किया था, तत्कालीन जापानी पीएम योशीहिदे सुगा ने इस मौके पर एक वीडियो संदेश भेजा था

5. फुमियो किशिदा अगले 5 साल में भारत में 5 ट्रिलियन येन (42 अरब डॉलर) निवेश करने की घोषणा की है. उम्मीद है कि किशिदा और मोदी जल्द से जल्द दोनों देशों के विदेश और रक्षा मंत्रियों के बीच टू-प्लस-टू बैठक बुलाने पर सहमत होंगे. विदेश सचिव अरिंदम बागची ने कहा कि भारत और जापान ने अपनी ‘विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी’ के दायरे में बहुआयामी सहयोग किया है. भारत-जापान शिखर सम्मेलन 2020 और साथ ही 2021 में मुख्य रूप से कोविड -19 महामारी के कारण आयोजित नहीं किया जा सका. जापान इस साल क्वाड नेताओं का एक व्यक्तिगत शिखर सम्मेलन आयोजित करने के लिए तैयार है और प्रधानमंत्री मोदी के इसमें भाग लेने की उम्मीद है.

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