हाल ही में संपन्न यूपी, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर के विधानसभा चुनावों (Assembly Elections 2022 in Five States) में लगे झटके के बाद, संयुक्त किसान मोर्चा (Samyukt Kisan Morcha) भविष्य की योजनाओं पर चर्चा करने के लिए सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी में बैठक करेगा. सूत्रों, की मानें तो संयुक्त किसान मोर्चा की इस बैठक में आंदोलन फिर से शुरू करने की संभावनाओं पर चर्चा होगी. एसकेएम भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का विरोध करने वाला एक किसान मंच है.
विश्लेषकों का कहना है कि संयुक्त किसान मोर्चा के सामने अब दोबार उस तरह का समर्थन जुटाना कठिन होगा, जैसा समर्थन तीन कृषि कानूनों के विरोध में शुरू हुए किसान आंदोलन के दौरान प्राप्त हुआ था. आपको यहां बताते चलें कि अब तीनों कृषि कानून रद्द किए जा चुके हैं. एसकेएम से संबंधित निर्णय लेने वाले पैनल के एक सदस्य ने कहा कि किसानों का लक्ष्य केवल एक चुनाव तक सीमित नहीं था. हालांकि, संयुक्त किसान मोर्चा ने उत्तर प्रदेश में भाजपा को हराने के लिए प्रचार किया था.
उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों के चुनावों पर नहीं दिखा किसान आंदोलन का कोई प्रभाव
उत्तर प्रदेश में, भाजपा ने किसान आंदोलन के प्रभाव को बड़े पैमाने पर गलत साबित किया और आराम से चुनाव जीतने में सफल रही. हालांकि, उसकी सीटों की संख्या 2017 के मुकाबले कुछ कम जरूर हुई, फिर भी भाजपा ने उत्तर प्रदेश में 273 सीटों के साथ दो तिहाई बहुमत हासिल करने में सफलता पाई. कहा जाता है कि भारत के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य यूपी में चुनावी जीत या हार राष्ट्रीय राजनीति को प्रभावित करते हैं.
सरकार किसी की आए, हमारी मांगें पूरी होने तक आंदोलन जारी रहेगा: राकेश टिकैत
भारतीय किसान यूनियन (BKU) के राष्ट्रीय प्रवक्ता और तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन का चेहरा बनकर उभरे राकेश टिकैत ने कहा, ‘जो भी पार्टी सत्ता में आए, हमारी मांगें पूरी होने तक आंदोलन जारी रहेगा. मैं यूपी चुनाव के बारे में बात नहीं करना चाहता. वह अब खत्म हो गया. लेकिन आंदोलन शत-प्रतिशत जारी रहेगा. मैं एसकेएम के साथ हूं.” राकेश टिकैत ने संयुक्त किसान मोर्चा के आंदोलन में अपनी भागीदारी को वापस लेने वाली खबरों को कुछ बदमाशो की ओर से उड़ाई गई आफवाह बताया. उन्होंने कहा, कुछ चैनल कह रहे हैं कि हम असफल रहे. अगर हम असफल हुए तो सरकार ने तीनों कृषि कानून वापस क्यों ले लिए.
एमएसपी गारंटी कानून और किसानों पर दर्ज मुकदमों की वापसी एसकेएम के प्रमुख मुद्दे
एसकेएम की तात्कालिक चिंता आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज सभी मामलों को वापस लेना है, उनमें से कुछ कठोर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत हैं. पश्चिम बंगाल में एसकेएम के चेहरे अविक साहा ने कहा, “मुझ पर यूएपीए के तहत आरोप लगाए गए हैं. क्या मैं आतंकवादी हूँ?” एसकेएम का दूसरा बड़ा मुद्दा एमएसपी गारंटी कानून का है. कई राज्यों में फैला 2021 का किसान आंदोलन दशकों में सबसे बड़े कृषि प्रदर्शनों में से एक था. उनकी प्रमुख मांग थी कि नरेंद्र मोदी सरकार तीन संघीय कृषि कानूनों को वापस ले. किसानों के असंतोष को देखते हुए केंद्र ने अंततः दिसंबर 2021 में इन तीनों कानूनों को रद्द कर दिया था.