जापान में अब ट्रेनों को हाइड्रोजन फ्यूल (Hydrogen Fuel) से चलाने की तैयारी की जा रही है. दरअसल, जापान ने अपनी पहली हाइड्रोजन-संचालित ट्रेन को अनवील्ड किया है जो 2050 तक कार्बन न्यूट्रल (Carbon Neutral) बनने के देश के लक्ष्य की ओर एक कदम है. जापान में अगले महीने हाइड्रोजन-ईंधन वाली ट्रेन की टेस्टिंग होगी.
ईस्ट जापान रेलवे कंपनी ने किया है विकसित
दो कार ‘हाइबारी’ ट्रेन (Hybari Train) की लागत लगभग 35 मिलियन डॉलर (4 बिलियन येन) है और यह एक बार हाइड्रोजन भरने के बाद 140 किलोमीटर (87 मील) तक 100 किमी/घंटा की टॉप स्पीड से यात्रा कर सकती है. ईस्ट जापान रेलवे कंपनी (East Japan Railway Co) ने टोयोटा मोटर और हिताची के साथ मिलकर हाइड्रोजन चालित ट्रेन को विकसित किया है. इसकी कमर्शियल सर्विसेज साल 2030 में शुरू होने की संभावना है.
जापान ने नेट जीरो तक पहुंचने के लिए हाइड्रोजन को एक प्रमुख क्लीन एनर्जी सोर्स बना दिया है. सरकार ने कहा है कि उसका लक्ष्य साल 2050 तक हाइड्रोजन के उपयोग की मात्रा को 20 मिलियन टन तक बढ़ाना है.
टोयोटा अपने सेकंड जनरेशन के मॉडल के साथ हाइड्रोजन-ईंधन वाली मिराई कारों (Mirai Cars) के उत्पादन में दस गुना वृद्धि करने का लक्ष्य लेकर चल रही है. इसके अलावा अधिक फ्यूल-सेल बसें और कमर्शियल वाहन सड़क पर होंगे. इसके अलावा इवातानी कॉर्प (Iwatani Corp.) और कावासाकी हेवी इंडस्ट्रीज लिमिटेड (Kawasaki Heavy Industries Ltd) जैसी एनर्जी कंपनियां इसकी कीमत कम करने के लिए हाइड्रोजन सप्लाई चेन बनाने की कोशिश कर रही हैं.
जर्मनी में शुरू हो चुकी है दुनिया की पहली हाइड्रोजन ट्रेन
अब तक यूरोप हाइड्रोजन ट्रेनों में अग्रणी रहा है. जर्मनी में साल 2018 में अलस्टॉम एसए (Alstom SA) द्वारा बनाई गई दुनिया की पहली हाइड्रोजन ट्रेन शुरू हुई. सीमेंस एजी (Siemens AG) और ड्यूश बहन एजी (Deutsche Bahn) नई रीजनल ट्रेनें और स्पेशल फ्यूलिंग स्टेशन विकसित कर रहे हैं और 2024 में उनका परीक्षण करेंगे.