नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने साल 2020 में कोझिकोड एयरपोर्ट पर एयर इंडिया एक्सप्रेस दुर्घटना के बाद गठित एक उप-समिति की सिफारिशों के बाद, सभी एयरलाइंस को बच्चों की सुरक्षा और उन्हें कंट्रोल करने के लिए चाइल्ड रेस्ट्रेंट सिस्टम (CRS) लागू करने के लिए एडवाइजरी भेजी है. ताकि फ्लाइट के अंदर बच्चों की सुरक्षा को सुनिश्चित की जा सके.
डीजीसीए के अनुसार सीआरएस सीट बेल्ट के अलावा एक उपकरण है, जिसे विशेष रूप से उड़ान के सभी चरणों के दौरान एक शिशु या बच्चे की सुरक्षा के लिए डिजाइन किया गया है. इसको बस विमान की सीट के साथ इंटरफेस करने की जरूरत है. इसके बाद इस पर बैठा बच्चा भी पूरी तरह से सुरक्षित रहेगा.
डीजीसीए ने अपने निर्देश में कहा कि हवाई हादसों के वक्त बच्चों को बचाना बहुत बड़ी चुनौती है. माता-पिता द्वारा हादसे के वक्त शारीरिक रूप से बच्चों को रोकना संभव नहीं है. ऐसे में बच्चों को सुरक्षित रखने का सबसे कारगर तरीका सीट पर सीआरएस लगाना है. इस वजह से सभी एयरलाइंस को सलाह दी जाती है कि वो यात्रियों द्वारा सीआरएस के उपयोग को बढ़ाने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करें.
7 अगस्त को एयर इंडिया एक्सप्रेस का बी737एनजी विमान दुबई से कोझिकोड आ रहा था. खराब मौसम के चलते दो बार लैंडिग के असफल प्रयास के बाद तीसरे प्रयास में रनवे से आगे निकलकर खाई में गिर गया था। इसके बाद विमान दो हिस्सों में बंट गया. नागरिक विमानन मंत्रालय ने कहा कि विमान में 174 यात्री, 10 बच्चे, दो पायलट और पांच केबिन क्रू सवार थे. कुल 191 लोग सवार थे. इस दुर्घटना में दोनों पायलट समेत 20 लोग मौत हुई थी. एयर इंडिया एक्सप्रेस एयर इंडिया के स्वामित्व वाली कंपनी है।
कोझिकोड के जिस हवाई अड्डे पर ये विमान हादसा हुआ वो टेबल टॉप रनवे है. आमतौर पर रनवे पर बीच में भी लाइट होती है जिसे सेंटर लाइट कहा जाता है. इससे रात में लैंडिंग के दौरान रनवे का अंदाजा रहता है. दरअसल, खराब मौमस में ऐसे रनवे पर विजिबलिटी काफी कम रहती है, जिससे हादसे की संभावना रहती है.