कई अवसरों की तरह देश का आम बजट संसद में पेश किए जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिर नई परंपरा क़ायम की है. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं को डिजिटल संवाद के ज़रिए बजट की विशेषताएं विस्तार समझाईं.
इससे पहले बजट वाले दिन प्रधानमंत्री उसे लेकर संक्षिप्त वक्तव्य जारी करते रहे हैं, साथ ही आमतौर पर केंद्रीय वित्त मंत्री ही मीडिया को संबोधित करते रहे हैं, लेकिन अपनी सरकार के बजट की ख़ास बातें और उसके दूरगामी परिणाम देने वाला होने की बात समझाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहली बार स्वयं सामने आए. ज़ाहिर है कि बजट की सकारात्मक व्याख्या कर मोदी ने भविष्य में दूसरी पार्टियों के प्रधानमंत्री पद के दावेदारों के माथे पर एक शिकन और बढ़ा दी है.
केंद्र सरकार का दावा है कि यह आम बजट सर्व समावेशी है और कम से कम आगामी 25 वर्षों को ध्यान में रखते हुए इसे तैयार किया गया है. भले भी विपक्ष इसे नाकाफ़ी बजट करार दे रहा हो, लेकिन यह तो स्पष्ट है कि राजनैतिक दुराग्रहों को ताक पर रख कर अगर बजट को देखें, तो समझ में आता है कि भविष्य के भारत का ख़ाका यह बजट खींचता है. युवाओं और रोज़गार, महिलाओं के सशक्तीकरण, स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षा इत्यादि पर ध्यान रखने के साथ ही बजट में ग्रामीण भारत को तस्वीर बदलने का प्रयास भी किया गया है.
मोदी सरकार ने बजट के माध्यम से अपने राजनैतिक विरोधियों की आवाज़ें शांत करने का प्रयास किया गया है. तीन कृषि विपणन क़ानूनों को लेकर हुए आंदोनल के दौरान यह विमर्श खड़ा करने का प्रयास किया गया था कि मोदी सरकार किसानों को मिनिमम सपोर्ट मूल्य यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य की योजना को ख़त्म कर देगी. हालांकि प्रधानमंत्री ने स्यवं कई बार कहा कि सरकार एमएसपी जारी रखेगी, लेकिन विरोधियों ने इस पर भरोसा नहीं किया.
किसान संगठन आज भी एमएसपी को क़ानूनी जामा पहनाने की मांग पर अड़े हैं, ऐसे में केंद्रीय बजट में एमएसपी के एवज़ में किसानों के खाते में सीधे भेजे जाने के लिए 2.37 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान कर उन किसानों को भरोसे में लेने की कोशिश की है, जिन्हें सरकार तीनों क़ानून के फ़ायदे नहीं समझा पाई थी. मोदी सरकार ने किसानों तक यह संदेश पहुंचाने का प्रयास किया है कि वह किसानों के हक़ के प्रति संवेदनशील है. इस बजट के बाद किसानों के कंधे पर रख कर राजनैतिक विरोध की बंदूक दागे जाने की अवसर ज़रूर कम कर दिए हैं, एमएसपी के लिए 2.37 लाख करोड़ रुपये के प्रावधान के रूप में अब मोदी सरकार के पास ठोस तर्क है.
बजट में पीएम आवास योजना के तहत 48 हज़ार करोड़ रुपये की लागत से 80 लाख पक्के मकान बनाए जाने का प्रावधान किया गया है. ज़ाहिर है कि बहुत से पक्के घर ग्रामीण इलाक़ों में भी बनाएं जाएंगे. सरकार वंचित वर्गों को मुफ़्त बिजली कनेक्शन, मुफ़्त रसोई गैस कनेक्शन और नल से जल योजना के तहत घर-घर पानी पहुंचाने की योजनाएं बनाई हैं. इस तरह की योजनाओं से न केवल जीवन स्तर सुधरता है, बल्कि सामाजिक समरसता का वातावरण और सकारात्मक बनाने में मदद मिलती है. कमज़ोर तबक़े का आत्मसम्मान जगता है, अंत्योदय का लक्ष्य हासिल होता है, तो देश मज़बूत होता है. इसके बहुआयामी प्रभाव पड़ते हैं.
मोदी सरकार ने वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने का लक्ष्य रखा था. इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ही तीन नए कृषि विपणन क़ानून बनाए गए थे लेकिन दुर्भाग्यवश किसान आंदोलन का पटाक्षेप करने के लिए मोदी सरकार को वे तीनों क़ानून सिरे से वापस लेने पड़े. अब मौजूदा बजट में किसानों का जीवन स्तर ऊपर उठाने के लिए कई तरह के प्रावधान किए गए हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश भर में बीजेपी कार्यकर्ताओं को डिजिटल संबोधन में बजट से खेती और किसानों को होने वाले फ़ायदे के बारे में जानकारी दी.
प्रस्तावित बजट में देश में खेती को टैक्नोलॉजी आधारत और कैमिकल मुक्त बनाने के लिए कई क़दम उठाए गए हैं. पिछले बजट में किसान रेल और किसान उड़ान का प्रावधान किया गया था, तो इस बार बजट में किसान ड्रोन का प्रावधान किया गया है. ड्रोन का इस्तेमाल कर किसान उन्नत तकनीक का लाभ उठा पाएंगे. बहुत जल्द देश के सभी गांवों को ऑप्टिकल फाइबर लाइनों से जोड़ा जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनुसार कोरोना काल में छोटे उद्यमियों को ध्यान में रखते हुए इमरजेंसी लोन गारंटी योजना शुरू की गई. इस योजना से एमएसएमई सैक्टर में डेढ़ करोड़ रोज़गार सुरक्षित किया गया. इस तरह की योजनाएं जारी रहेंगी.
बजट में केन और बेतवा नदियों को जोड़ने के लिए बड़े मद का प्रावधान किया गया है, इससे बुंदेलखंड के ग्रामीण इलाक़ों को बड़े पैमाने पर कल्याण होगा. बजट में पहली बार पर्वतमाला योजना का प्रावधान किया गया है. इससे हिमालय के इलाक़ों में आधुनिक संपर्क सुविधा के साथ ही बुनियादी ढांचे का विकास भी होगा. बजट में सीमाई इलाक़ों में बसे गांवों के विकास के बारे में नए सिरे से विचार किया गया है. बजट में विशेष वाइब्रेंट विलेज यानी जीवंत ग्राम योजना की शुरुआत की गई है.
विपक्ष भले ही नकारात्मक बातें कहे या करे, बजट में बहुत कुछ ऐसा है, जो भारत के भविष्य की तस्वीर उकेरने वाला है. हो सकता है कि बजट के बाद नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री के तौर पर पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करने की परंपरा पहली बार चुनावी राजनीति के कारण डाली हो, लेकिन यह अच्छी परंपरा है. अभी मोदी सरकार को एक पूर्ण बजट और एक वोट ऑन अकाउंट यानी अंतरिम बजट और पेश करने हैं. प्रधानमंत्री मोदी संभवत: उन दोनों अवसरों पर भी बजट की ख़ूबियां बीजेपी कार्यकर्ताओं को बताएं.