भारत ने सोमवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council) में यूक्रेन मुद्दे पर हुई (UNSC Meeting on Ukraine) वोटिंग से दूरी बनाए रखी. माना जा रहा है कि भारत इस मुद्दे पर किसी भी पक्ष का समर्थन नहीं करना चाहता था. अगर भारत रूस के पक्ष में वोट देता, तो इससे अमेरिका समेत कई पश्चिमी देश नाराज हो सकते थे. वहीं, अगर भारत यूक्रेन के समर्थन करता तो इससे रूस के साथ रिश्तों पर गंभीर असर पड़ सकता था. ऐसे में भारत ने बीच का रास्ता चुनते हुए मतदान से दूरी बनाए रखी. यूक्रेन और रूस के बीच इस समय युद्ध जैसे हालात बने हुए हैं. रूस ने अपनी सीमा पर 1 लाख सैनिकों को भारी हथियारों के साथ तैनात किया हुआ है. वहीं, यूक्रेन भी अमेरिका और बाकी नाटो देशों के हथियारों को रूसी सीमा पर भेज रहा है.
यूक्रेन मुद्दे पर चर्चा के लिए सोमवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक हुई. बैठक से पहले, रूस, एक स्थायी और वीटो-धारक सदस्य ने यह निर्धारित करने के लिए एक प्रक्रियात्मक वोट का आह्वान किया कि क्या खुली बैठक आगे बढ़नी चाहिए. रूस और चीन ने बैठक के खिलाफ मतदान किया, जबकि भारत, गैबॉन और केन्या ने भाग नहीं लिया। नॉर्वे, फ्रांस, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, आयरलैंड, ब्राजील और मेक्सिको सहित परिषद के अन्य सभी 10 सदस्यों ने बैठक के चलने के पक्ष में मतदान किया.
अमेरिकी राजदूत ने साधा रूस पर निशाना
अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने रूसी राजदूत वासिली नेबेंजिया के इस आरोप को खारिज कर दिया कि वॉशिंगटन संकट पर सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाकर कूटनीति का उपयोग करने की कोशिश कर रहा है. थॉमस ग्रीनफिल्ड ने कहा कि कल्पना कीजिए कि अगर आपकी सीमा पर 100,000 सैनिक होते तो आप कितने असहज होते.
जो बाइडन ने की थी आलोचना
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने एक बयान में कहा कि बल प्रयोग को खारिज करने, सैन्य तनाव कम करने, कूटनीति का समर्थन करने और प्रत्येक सदस्य से जवाबदेही की मांग करने के लिए बैठक एक महत्वपूर्ण कदम थी. उन्होंने कहा कि देशों को अपने पड़ोसियों के खिलाफ सैन्य आक्रमण से बचना चाहिए. रूस ने इस बात से इनकार किया कि वह हमला करने का इरादा रखता है, लेकिन मांग की कि रूस को उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) में शामिल नहीं किया जाये. नाटो और अमेरिका ने इन मांगों को असंभव बताया है.