देश की जनता को सबसे ज्यादा डर महंगाई के रूप में आई डायन से लग रहा है. लोगों का कहना है कि 2021 में परेशान करने के बाद इस डायन का मुंह 2022 में और बड़ा होता जाएगा. लोगों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है और बजट में महंगाई पर काबू पाने की अपील की है.
बजट से पहले जनता के बीच कराए एक सर्वे में अधिकतर लोगों ने महंगाई को विकास और बचत की राह में सबसे बड़ा रोड़ा बताया है. आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने भी 2022 में महंगाई और बढ़ने की आशंका जताई थी. अब सर्वे में शामिल 45 फीसदी लोगों को भी लगता है कि 2022 में महंगाई का प्रकोप और बढ़ेगा. हालांकि, 14 फीसदी को लगता है कि रिजर्व बैंक और सरकार मिलकर इस पर काबू पा लेंगे. 22 फीसदी लोगों ने महंगाई को ग्लोबल फैक्टर पर निर्भर बताया है.
महामारी से बड़ी है महंगाई की मार
सर्वे में शामिल लोगों ने महंगाई को कोरोना महामारी से भी बड़ा जोखिम बताया. 37.1 फीसदी लोगों ने कहा, 2022 में विकास की राह में सबसे बड़ा रोड़ा महंगाई बनेगी. 30.8 फीसदी ने वायरस की एक और वेव को उनकी कमाई व जीडीपी के लिए बड़ा खतरा बताया है . 17.6 फीसदी लोगों को लगता है कि उपभोक्ताओं का भरोसा अभी वापस नहीं आया है और 14.5 फीसदी लोगों ने निजी निवेश में कमी की आशंका जताई.
महंगाई दर 6 महीने में सबसे ज्यादा, खा रही लोगों की बचत
NSO के मुताबिक, खुदरा महंगाई की दर दिसंबर में 5.59 फीसदी के साथ 6 महीने के शीर्ष पर पहुंच गई है. थोक महंगाई का आंकड़ा तो और डरावना है, जो दिसंबर में 13.56 फीसदी पर पहुंच गया. इससे लोगों की पुरानी बचत खत्म होती जा रही और नई बचत के लिए भी पैसे नहीं बच रहे. रिजर्व बैंक के आंकड़े कहते हैं कि बढ़ती महंगाई से लोगों की घरेलू बचत में 50 फीसदी से ज्यादा गिरावट आई है .