देश में कोरोना के मामले भले ही कम हो रहे हैं लेकिन इसका खतरा अभी टला नहीं है. कोरोना के ओमिक्रोन वेरिएंट के बाद अब एक और नए वेरिएंट नियोकोव की चर्चा हो रही है. जिसमें कहा जा रहा है कि संक्रमण के बाद हर तीन में से एक व्यक्ति के लिए यह जानलेवा हो सकता है. यही वजह है कि भारत सरकार और स्वास्थ्य विशेषज्ञ कोरोना अनुरूप व्यवहार (Covid Appropriate Behaviour) का पालन करने के लिए लोगों से लगातार अपील कर रहे हैं. इसके साथ ही कोरोना वैक्सीनेशन तेज करने के साथ ही हेल्थकेयर, फ्रंटलाइन वर्कर्स (Frontline Workers) और 60 से ऊपर के कोमोरबिड लोगों को बूस्टर डोज (Booster Dose) भी लगाई जा रही है. हालांकि बच्चों को अभी तक कोई डोज नहीं लगी है, ऐसे में बच्चों को मास्क पहनाने पर जोर दिया जा रहा है. इसके साथ ही स्कूल खुलने पर भी बच्चों को मास्क (Mask) पहनकर कक्षाओं में बैठने के लिए कहा जा रहा है. लिहाजा एक सवाल पैदा हो रहा है कि क्या मास्क आने वाले समय में स्कूल यूनिफॉर्म (School Uniform) का जरूरी हिस्सा बन सकता है
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) देवघर के निदेशक डॉ. सौरभ वार्ष्णेय कहते हैं कि कोरोना को आए हुए भारत में दो साल हो चुके हैं और कोरोना अनुरूप व्यवहार दैनिक जीवन का हिस्सा बन गया है. लोगों ने अब इसे अपनी आदत में डाल लिया है. इसकी वजह भी है कि कोरोना का संक्रमण (Corona Infection) अब एयरोसोल की वजह से हो रहा है. लोग खांसते हैं, छींकते हैं तो इससे न केवल कोरोना बल्कि कॉमन कोल्ड, टीबी, फ्लू आदि कोई भी संक्रमण हो सकता है. कोई भी महामारी एक ही लहर में नहीं आती, यह कई लहर में आती है और कई बार आती है.
ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि आने वाले समय में फिर से कोरोना नए वेरिएंट के साथ आ जाए. ऐसे में व्यवहार में बदलाव तो करना ही पड़ेगा. संभव है कि आने वाले समय में कोविड एप्रोप्रिएट बिहेवियर में से कोविड हटा दिया जाए और जो सावधानी अब अपना रहे हैं, उसे एप्रोप्रिएट बिहेवियर ही कहा जाए.