नई दिल्ली, गुजरात में 1996 के बाद पहली बार राज्यसभा चुनाव कराने की नौबत आई है। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के राज्य सभा चुनावों में नोटा का प्रावधान करने संबंधी निर्वाचन आयोग की अधिसूचना पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है। गुजरात कांग्रेस के मुख्य सचेतक शैलेश मनुभाई परमार की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और हरीन रावल ने निर्वाचन आयोग की अधिसूचना के अमल पर अंतरिम रोक लगाने का अनुरोध किया था, इस पर न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति ए.एम. खानिवलकर की पीठ ने कहा, कि “नोटिस जारी किया जाये, हम इसकी विवेचना करेंगे, हम कार्यवाही पर रोक नहीं लगा रहे हैं”। पूर्व से शीर्ष अदालत के एक फैसले के बाद से निर्वाचन आयोग चुनावों में नोटा का प्रावधान मतदाताओं को उपलब्ध करा रहा है। ज्ञात हो चुनाव आयोग के राज्यसभा चुनाव में नोटा के उपयोग की अधिसूचना जारी करने के बाद गुजरात में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई थीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और गुजरात में राज्यसभा प्रत्याशी अहमद पटेल ने नोटा लागू करने पर सवाल उठाया है, कांग्रेस और विपक्ष इस चुनाव में NOTA के विरोध में है, गुजरात कांग्रेस ने शंकरसिंह वाघेला सहित 51 विधायकों को पार्टी के उम्मीदवार पटेल को मत देने, NOTA का बटन न दबाने का व्हिप जारी किया है, वरिष्ठ नेता बलवंतसिंह राजपूत सहित छह विधायकों के पार्टी छोड़ने के बाद नोटा के रूप में कांग्रेस के सामने नई मुसीबत आ गई है, कांग्रेस अध्यक्ष भरत सिंह सोलंकी और पूर्व अध्यक्ष अर्जुन मोढवाडिया ने कहा है कि पार्टी व्हिप का उल्लंघन करने वाले छह साल के लिए अयोग्य घोषित हो जाएंगे।