हेल्थ के लिए मछली (Fish) का सेवन बहुत अच्छा होता है, यह हम सब जानते हैं, लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि मछली का नियमित सेवन दिमाग को हेल्दी रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. जी हां, एक ताजा अध्ययन में दावा किया गया है कि मछली का नियमित सेवन दिमाग से संबंधित बीमारियों (Cerebrovascular disease, or vascular brain disease) को दूर रखता है. मेडिकल न्यूज टूडे के मुताबिक सेरीब्रोवैस्कुलर डिजीज एक ऐसी बीमारी है जिसमें दिमाग तक जाने वाली खून की वाहिकाएं अवरूद्ध होने लगती है. इससे दिमाग में ब्लड सर्कुलेशन (blood circulation) प्रभावित होता है. इस स्थिति में स्ट्रोक (stroke) या दिमाग में अन्य जटिलताएं बढ़ जाती है. लेकिन सप्ताह में दो दिन भी अगर मछली का सेवन किया जाए, तो इससे स्ट्रोक के जोखिम को बहुत कम किया जा सकता है. अध्ययन में कहा गया है कि अमेरिका में होने वाली मौतों में हर पांच में एक मौत दिमाग में खून नहीं पहुंचने के कारण होती है. जबकि दुनिया में होने वाली मौतों के कारणों में दूसरा सबसे बड़ा कारण भी यही है.
दिमागी जटिलताएं कम होती है
हाल ही में दो अध्ययनों में यह साबित हुआ है कि मछली का नियमित सेवन दिमागी जटिलताओं से संबंधित बीमारियों के जोखिम को कम करता है. अध्ययन में पाया गया कि जिन लोगों ने मछली का सेवन ज्यादा किया, उनमें स्ट्रोक के लक्षण बहुत कम देखे गए जबकि दूसरे अध्ययन में पाया गया कि मछली के सेवन से वैस्कुलर ब्रेन डैमेज की आशंका बहुत कम हो गई लेकिन जिन लोगों ने मछली का सेवन बहुत कम किया या नहीं किया, उनमें सेरीब्रोवैस्कुल डिजीज ने ज्यादा जटिलताएं पैदा कीं. मछली में मौजूद ओमेगा 3 पोलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड (omega-3 polyunsaturated fatty acids, ) सेरीब्रोवैस्कुलर हेल्थ के लिए बहुत ही फायदेमंद साबित होता है.
दिमाग को दुरुस्त रखने का बहुत ही आसान उपाय
अध्ययन में पाया गया कि जिन लोगों ने सप्ताह में दो या इससे ज्यादा बार मछली का सेवन किया उन्हें दिमाग से संबंधित जटिलताओं वाली बीमारियों का सामना बहुत कम करना पड़ा. फ्रांस में यूनिवर्सिटी ऑफ बोरोडियॉक्स (University of Bordeaux) की वरिष्ठ शोधकर्ता और अध्ययन की प्रमुख लेखिका डॉ सेसिलिया समिरी (Dr. Cecilia Samieri) ने बताया कि हमारा निष्कर्ष बहुत ही प्रभावी होने वाला है क्योंकि दिमाग को तंदुरुस्त रखने के लिए यह बहुत ही आसान उपाय है. अगर आप सप्ताह में दो दिन भी मछली का सेवन करते हैं, तो आप ब्रेन आघात के जोखिम से बच सकते हैं. ज्यादा उम्र के लोगों के लिए यह और भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस उम्र में डिमेंशिया का आक्रमण ज्यादा होने लगता है जो बुजुर्ग लोगों के लिए बहुत बड़ी परेशानी है.