20 अक्टूबर को वर्ल्ड ऑस्टियोपोरोसिस डे (World Osteoporosis Day) मनाया जाता है. ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) एक बीमारी है जो कमजोर, पतली हड्डियों का कारण बनती है. कलाई, कूल्हे या रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर इस समस्या का पहला संकेत हो सकता है. ये बीमारी शरीर में आवश्यक तत्वों की कमी व हार्मोन्स के अनबैलेंस होने से होती है. दैनिक जागरण अखबार में छपी न्यूज रिपोर्ट में लिखा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार दिल की बीमारियों के बाद ऑस्टियोपोरोसिस विश्व की दूसरी सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाली बीमारी है. और ये पुरुष की तुलना में महिलाओं में ज्यादा होती है.
ऑस्टियोपोरोसिस को खोखली हड्डियों की बीमारी भी कहते हैं, जिसमें हड्डियों की मजबूती और घनत्व धीरे-धीरे कम होता जाता है. इस बीमारी में कैल्शियम और विटामिन-डी (Vitamin D) की कमी के कारण बोन मास (घनत्व) कम हो जाता है और हड्डियां भुरभुरी हो जाती हैं.
क्यों होता है ऑस्टियोपोरसिस?
इस न्यूज रिपोर्ट में गुरुग्राम के सीनियर फिजियोथेरेपिस्ट डॉ सर्वोत्तम चौहान (Dr Sarvottam Chauhan) ने ऑस्टियोपोरसिस होने के कारण बताए हैं. उनका कहना है कि महिलाओं में इस बीमारी के ज्यादा होने की वजह है मीनोपोज. बढ़ती उम्र में जब हार्मोन्स का बनना कम होने लगता है, तो बीमारी की आशंका बढ़ जाती है. एस्ट्रोजन हार्मोन महिलाओं को हड्डियों की बीमारी के साथ ही दिल से जुड़ी समस्याओं से भी बचाता है. हालांकि, कई बार पीरियड्स जल्द खत्म होने या कुछ खास हार्मोन्स के डिसबैलेंस होने की वजह से हड्डियां जल्दी कमजोर होने लगती है. डॉ सर्वोत्तम का कहना है कि खान-पान में पोषक तत्वों का कम होना भी इस बीमारी का कारण बनता है.
विटामिन -डी की कमी
इस समस्या से बचाव में विटामिन-डी (Vitamin D) बहुत फायदेमंद है. विटामिन-डी का काम होता है हमारे खाने से मिले कैल्शियम को शरीर में जब्त करना और अगर विटामिन-डी की कमी हो जाए, तो खाने से मिला कैल्शियम बाहर निकल जाता है. जिससे हड्डियों को पोषण नहीं मिल पाता है और वो खोखली हो जाती है.
कैसे करें बचाव?
– समय-समय पर जांच जरूर कराएं.
– हर रोज कम से कम 30 मिनट की सैर करें.
– कम से कम 15-20 मिनट धूप में बैठें.
– 45 मिनट एक्सरसाइज करें, आउटडोर गेम्स भी खेल सकते हैं.
– विटामिन डी कमी होने पर डॉक्टर से संपर्क करें.
डाइट का रखें ख्याल
– प्रोटीन और कैल्शियम से भरपूर डाइट लें.
– स्प्राउट्स, दालें, मक्का और बींस को डाइट में शामिल करें.
– कैल्शियम के लिए दूध और दही से बनी चीजें जैसे पनीर, लस्सी आदि लें.
– मौसमी फलों और हरी पत्तेदार सब्जियों खाने में शामिल करें.