जबलपुर जिला उपभोक्ता आयोग ने ट्रेन में आरक्षित सीट अचानक बदलने के मामले को गंभीरता से लिया है। यात्री के शिकायत पर आयोग ने बुधवार को रेलवे पर 20 हजार रुपए हर्जाना लगाया है। आयोग के अध्यक्ष केके त्रिपाठी और सदस्य योमेश अग्रवाल की कोर्ट ने केस खर्च के दो हजार रुपए भी चुकाने के आदेश दिए हैं।
रांझी के रहने वाले मनोज कुमार यादव की ओर से जून 2018 में याचिका दायर की गई थी। इसमें कहा गया था कि उसने 23 अप्रैल 2018 को अपने परिवार समेत 5 सदस्यों के लिए गोंदिया एक्सप्रेस से कटनी से बलिया तक की टिकट बुक कराई थी। उसे S-5 में 65 से 69 नंबर की सीट आवंटित की गई।
मनोज कुमार के वकील अरुण कुमार जैन और विक्रम जैन ने कोर्ट को बताया कि परिवादी परिजनों के साथ जब यात्रा के लिए पहुंचा, तो पता चला कि ट्रेन में एस-5 कोच ही नहीं लगाया गया। ऑनलाइन शिकायत के बाद भी उन्हें S-2 और S-4 कोच में अलग-अलग सीटें आवंटित की गई। इससे उनको यात्रा में परेशानी हुई। याचिका पर अंतिम सुनवाई 12 अक्टूबर 2021 को हुई।
रेलवे की सेवा में कमी
पीड़ित के वकील ने कहा कि अचानक सीट बदलने के बाद उसकी जानकारी देना भी रेलवे ने उचित नहीं समझा। उधर, रेलवे की ओर से पक्ष रखा गया कि यात्रियों को उनकी बुकिंग के अनुसार सीट उपलब्ध कराई गई थी। कोच न लगने की वजह से ये परेशानी आई थी। आयोग ने दोनों पक्ष को सुनने के बाद यात्री मनोज कुमार यादव के पक्ष में निर्णय सुनाया। कहा कि रेलवे के चलते शिकायतकर्ता को परेशानी हुई। इस कारण रेलवे को 20 हजार रुपए जुर्माना देना होगा। आयोग ने 13 अक्टूबर को हर्जाने का आदेश जारी कर दिया।
मनोज कुमार ने पहले अपने वकील के माध्यम से रेलवे काे नोटिस भिजवाया, लेकिन रेलवे ने इसका कोई जवाब नहीं दिया। इस पर मनोज ने याचिका दायर कर दी थी।