Home स्वास्थ्य मन को फिट रखने के लिए क्या करना है जरूरी, एक्सपर्ट्स से...

मन को फिट रखने के लिए क्या करना है जरूरी, एक्सपर्ट्स से जानें.

36
0

10 अक्टबूर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस (World Mental Health Day 2021) मनाया जाता है. वैसे तो इसकी शुरुआत वर्ल्ड मेंटल हेल्थ फेडरेशन (WMHF)के डिप्टी सक्रेटरी जनरल रिचर्ड हंटर (General Richard Hunter) की पहल पर साल 1992 में हुई थी, लेकिन साल 1994 तक इसका कोई थीम नहीं था, सिवाय सामान्य मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों का समर्थन करना और जनता को इसके बारे में लोगों को जागरुक करना. इसके बाद साल 1994 में WMHF के तत्कालीन महासचिव यूजीन ब्रॉडी (Eugene Brody) के सुझाव पर पहली बार एक थीम ‘पूरे विश्व में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार’ के साथ वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे मनाया गया. इस बार यानी, वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे 2021 की थीम है, ‘सभी के लिए मानसिक स्वास्थ्य देखभाल : आइये इसे एक वास्तविकता बनाएं’. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य मेंटल प्रोब्लम्स (मानसिक दिक्कतों) को लेकर लोगों के बीच जागरूकता फैलाना है. ताकि लोग मानसिक परेशानियों के प्रति जागरूक हों और समय रहते डॉक्टरी सहायता ले सकें. साथ ही मानसिक परेशानियों से जूझ रहे लोगों की कठिनाई उनके दोस्तों, रिश्तेदारों और सोसाइटी को भी समझ सकें.

अमर उजाला अखबार में छपी न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में 9 से 17 साल के हर पांच में से एक किशोर का मन किसी ना किसी रूप में बीमार है, इनमें से आधे से ज्यादा मरीज तो समझ ही नहीं पाते कि वो बीमार है. इस रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में 97 करोड़ लोग मानसिक रोग से ग्रसित मरीज है. इनमें से 80 फीसदी मानसिक विकार रोगी तो सालों तक इलाज नहीं ले पाते हैं. वहीं कोरोना महामारी के दौर में इसमें और तेजी देखने को मिली है, महामारी में मानसिक रोगियों की संख्या 20% बढ़ी है. युवाओं की बात करें तो दुनिया में 20 फीसदी युवा आबादी मानसिक विकार से ग्रसित है. हैरानी की बात तो ये है कि मेंटल हेल्थ से जुड़े 10 में से 5 मरीज तो समझ ही नहीं पाते हैं कि उनका मन बीमार है.

5.6 करोड़ भारतीय अवसाद से जूझ रहे
डब्ल्यूएचओ के अनुसार भारत में 5.6 करोड़ लोग डिप्रेशन और 3.8 करोड़ लोग चिंता (टेंशन) से ग्रसित हैं. भारत की कुल आबादी में से 7.5 फीसदी लोगों को मानसिक रोग है. ये आंकड़ा 20% तक जा सकता है आंकड़ा.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
इस न्यूज रिपोर्ट में कई एक्सपर्ट्स ने भी मेंटल हेल्थ को लेकर अपनी बात रखी है. एम्स नई दिल्ली के मनोरोग विभाग (psychiatry department) के प्रो. राजेश सागर बताते हैं कि युवाओं को लेकर हमें ज्यादा अलर्ट रहने की जरूरत है, क्योंकि इनमें बीमार मन के लक्षण आमतौर पर घबराहट, खराब मूड, एकाग्रता में कमी और स्वभाव में बदलाव है.

वहीं मुंबई के कोकिला बेन अस्पताल की साइकेट्रिस्ट (psychiatrist) डॉ. अपर्णा कृष्णन का भी कहना है कि घर परिवार के लोग इन लक्षणों को नजरअंदाज नही करें. बिना देरी के तुरंत डॉक्टर की सलाह लें.

गैजेट्स का इफैक्ट
दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल के साइकोलॉजिस्ट डॉ. इमरान नूरानी बताते के मुताबिक आधुनिकता मानसिक सेहत पर भारी पड़ रही है. मन अमीर बनने, गैजेट्स, गाडि़यां और अन्य ऑनलाइन एप और गेम्स में उलझा हुआ है. आकांक्षाएं बढ़ने से मन की तरंगें प्रभावित हो रहीं है.

नशे से बनाएं दूरी
वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रो. विजयनाथ मिश्रा के अनुसार बीमार मन और नशा मौत का कॉकेटल साबित होता है. शराब या अन्य नशीले पदार्थों से ब्लड प्रेशर बढ़ते हैं. दिमाग की नसें फट जाती हैं.
एम्स दिल्ली के डॉ. सागर भी कहते हैं कि मानसिक रोग के दौरान रिलेक्स होने के लिए लोग नशे की ओर आकर्षित होते हैं. इससे व्यक्ति तो अच्छा महसूस तो करता है, लेकिन ये बीमारी गंभीर होती चली जाती है.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here