ध्वनि और वायु प्रदूषण (Noise And Air Pollution) से होने वाले नुकसान को लेकर अभी तक दुनिया में कई स्टडी हुई है, जिनमें इन दोनों प्रदूषणों से हमारी सेहत होने वाले असर के बारे में बताया गया है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि दूषित हवा और शोर शराबे के बीच रहने से हार्ट फेल होने का जोखिम बढ़ता है. दैनिक जागरण में छपी खबर के मुताबिक अब एक नई स्टडी में पता चला है कि अगर आप सालों से दूषित हवा और ट्रैफिक के शोर के बीच रहते हैं तो हार्ट फेल का रिस्क बढ़ जाता है. और अगर आप स्मोकिंग करते हैं और बीपी के शिकार हों तो ये रिस्क और भी सीरियस हो जाता है. इस स्टडी का निष्कर्ष जर्नल आफ द अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (Journal of the American Heart Association) में प्रकाशित हुआ है.
डेनमार्क की यूनिवर्सिटी आफ कोपेनहेगन (University of Copenhagen) में पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट के प्रोफेसर और इस रिसर्च के लेखक योन ही लिम (Youn‐Hee Lim) का कहना है कि रिसर्च के इस निष्कर्ष के आधार पर लोगों में हार्ट फेल होने के रिस्क को कम करने के लिए बताए गए फैक्टर्स (कारकों) को लेकर रणनीति बनाई जानी चाहिए ,ताकि उनका असर कम किया जा सके.
कैसे की गई स्टडी
यह स्टडी डेनमार्क की नर्सो को लेकर 15 से 20 साल तक की गई है. इसके लिए रिसर्चर्स ने 22 हजार से अधिक नर्सो का डेटा इकट्ठा किया. स्टडी में 1993 या 1999 में शामिल नर्सो से प्रश्नावली यानी क्वेश्चनायर (questionnaire) भरवाए गए, जिसमें उनके बॉडी मास इंडेक्स, लाइफस्टाइल, स्मोकिंग, शराब पीने, फिजिकल एक्टिविट, खानपान, पहले की हेल्थ और कामकाज की स्थिति के बारे में सवाल किए गए थे. उसके बाद 2014 तक उनकी हेल्थ को लेकर सूचनाएं इकट्ठा की गईं, जिनमें हार्ट फेल के मामले पर ज्यादा फोकस किया गया.
इसके साथ ही इस स्टडी में वायु प्रदूषण यानी एयर पॉल्यूशन (Air Pollution) का लेवल जानने के लिए पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 तथा नाइट्रोजन डाइआक्साइड (nitrogen dioxide) का एनुअल एवरेज लिया गया. यह आंकड़ा स्टडी के सहभागियों के आवास के 3 किलोमीटर के दायरे में जुटाया गया. इसके साथ ही शोर की तीव्रता (noise intensity) को भी मापा गया.
निष्कर्ष में क्या निकला
इस स्टडी के निष्कर्ष में पाया गया कि 3 साल तक फाइन पार्टिकुलेट मैटर में 5.1 यूजी प्रति घन मीटर की वृद्धि से हार्ट फेल होने की घटना में 17 फीसद वृद्धि हुई. जबकि नाइट्रोजन डाइआक्साइड में 8.6 यूजी प्रति घन मीटर की वृद्धि से हार्ट फेल्यर की घटना 10 फीसद बढ़ी.
वहीं, ट्रैफिक के शोर की बात करें तो में 3 साल में इसमें 9.3 डेसीबल की वृद्धि से हार्ट फेल्यर की घटनाएं 12 फीसद बढ़ी. पार्टिकुलेट मैटर की ऐसी स्थिति में स्मोकिंग करने वालों में हार्ट फेल्यर का रिस्क 72 फीसद ज्यादा था.