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अफगानिस्तान संकट पर जी-7 देशों की बड़ी बैठक आज, तालिबान को मिलेगी मान्यता या लगेगा बैन

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अफगानिस्तान (Afghanistan) पर जी-7 देशों (G-7 Leaders meeting) के नेताओं की एक महत्वपूर्ण बैठक होने जा रही है. इस बैठक में काबुल में तालिबान के शासन (Taliban rule in Kabul) को आधिकारिक तौर पर मान्यता देना है या प्रतिबंध लगाना है, इस बात पर फैसला हो सकता है. मीटिंग का आयोजन वर्चुअली होगा. अगस्त की 15 तारीख को काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद अमेरिका के सहयोगी देश वॉशिंगटन की ओर देख रहे हैं, वहीं विदेशी राजनयिकों को कहना है कि अफगानिस्तान के मसले पर जी-7 देशों की बैठक (G-7 Meeting) में आपसी सहयोग पर भी चर्चा हो सकती है.

बता दें कि काबुल पर तालिबान के हफ्ते भर में कब्जा करने और अमेरिकी सैनिकों के अफगानिस्तान से निकलने के बीच राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भाग निकले, ऐसे में विदेशी सरकारें अफगानिस्तान के हालात को लेकर संशय की शिकार हैं और अफगानिस्तान से बड़ी संख्या में लोगों का पलायन शुरू हो गया है.

अफगानिस्तान पर जी-7 की बैठक से जुड़े लेटेस्ट और बड़े अपडेट –

– एक यूरोपीय राजनयिक ने कहा कि जी-7 के नेता आपसी सहयोग पर सहमति जता सकते हैं, साथ ही इस पर भी फैसला हो सकता है कि तालिबान को कब मान्यता देनी है और सभी देश साथ मिलकर काम करने का वादा भी कर सकते हैं.

– बता दें कि जी-7 देशों की अध्यक्षता इस समय ब्रिटेन के पास है. दरअसल जी-7 देशों की अध्यक्षता समय के साथ बदलती रहती हैं. इन समूह में कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और अमेरिका शामिल हैं.

– news18.com के मुताबिक अमेरिका, ब्रिटेन, इटली, फ्रांस, जर्मनी, कनाडा और जापान के नेता इस मौके का उपयोग तालिबान को संयुक्त रूप से आधिकारिक मान्यता देने या उस पर नए सिरे से प्रतिबंध लगाकर तालिबान को महिलाओं के अधिकारों और अंतरराष्ट्रीय संबंधों का सम्मान करने के लिए मजबूर कर सकते हैं.

– इससे पहले अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा किए गए समझौते में वॉशिंगटन ने कहा था कि तालिबान को एक स्टेट के तौर पर मान्यता नहीं प्राप्त है.

– वहीं ब्रिटेन की कोशिश है कि वैश्विक नेताओं को तालिबान पर नए सिरे से प्रतिबंध लगाने के लिए मनाया जाए. ब्रिटेन का मानना है कि जी-7 के देश तालिबान पर आर्थिक प्रतिबंध लगा सकते हैं, और अफगानिस्तान को आर्थिक मदद भी रोक सकते हैं, अगर तालिबान मानवाधिकारों का उल्लंघन करता है और अफगानी जमीन अन्य देशों के खिलाफ आतंकियों की शरणगाह बनती है.

– सूत्रों ने कहा कि जी-7 के नेता अफगानिस्तान से अमेरिकी फौजों के निकलने की डेडलाइन को बढ़ाने की मांग भी कर सकते हैं. दरअसल राष्ट्रपति जो बाइडन ने 31 अगस्त तक अमेरिकी फौजों के काबुल से निकलने की डेडलाइन तय की है. ऐसे में जी-7 के नेता इसे बढ़ाने की मांग कर सकते हैं, ताकि अमेरिका और अन्य देशों को अफगानिस्तान से अफगानों और अपने नागरिकों को निकालने और उन्हें अन्य जगहों पर शिफ्ट करने का समय मिल जाए. दरअसल अमेरिकी और उसके सहयोगी देश उन अफगानों को भी काबुल से बाहर निकाल रहे हैं, जिन्होंने अमेरिकी और नाटो फौजों की बीते 20 साल के दौरान अफगानिस्तान में मदद की है.

– सूत्रों ने कहा कि जी-7 समूह के नेता तालिबान पर किसी भी तरह के प्रतिबंध को लेकर आपसी विचार विमर्श और सहयोग का वादा कर सकते हैं, साथ ही शरणार्थी के पुर्नवास से लेकर इस्लामिक स्टेट समूह के आतंकियों द्वारा हमले की आशंकाओं पर भी विचार कर सकते हैं.

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