केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को न्यायपालिका के लिए बुनियादी ढांचे के विकास की खातिर केंद्र द्वारा प्रायोजित योजना पांच साल बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. यह जानकारी एक बयान में दी गयी है. न्यायपालिका के लिए बुनियादी ढांचे के विकास के लिए केंद्र द्वारा प्रायोजित योजना (सीएसएस) 1993-94 से चल रही है, लेकिन अभी भी कई अदालतें किराए के परिसरों में काम कर रही हैं. एक आधिकारिक बयान के अनुसार विस्तारित अवधि के दौरान यह एक अप्रैल 2021 से 31 मार्च 2026 तक जारी रहेगी.
बयान में कहा गया है कि इस दौरान 9,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे जिसमें 5,357 करोड़ रुपये का केंद्रीय हिस्सा होगा. इसमें ग्राम न्यायालय योजना के लिए 50 करोड़ रुपये शामिल हैं. इस धन का उपयोग बेहतर व्यवस्था देना है. अभी भी कई अदालतें अपर्याप्त जगह के साथ किराए के परिसरों में काम कर रही हैं. कई अदालतें अब भी खराब स्थिति में हैं, इनमें से कुछ के पास बुनियादी सुविधाएं तक नहीं हैं. सभी न्यायिक अधिकारियों के लिए आवास की कमी भी उनके काम और प्रदर्शन पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को न्यायपालिका के लिए बुनियादी ढांचे के विकास की खातिर केंद्र द्वारा प्रायोजित योजना पांच साल बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. यह जानकारी एक बयान में दी गयी है. न्यायपालिका के लिए बुनियादी ढांचे के विकास के लिए केंद्र द्वारा प्रायोजित योजना (सीएसएस) 1993-94 से चल रही है, लेकिन अभी भी कई अदालतें किराए के परिसरों में काम कर रही हैं. एक आधिकारिक बयान के अनुसार विस्तारित अवधि के दौरान यह एक अप्रैल 2021 से 31 मार्च 2026 तक जारी रहेगी.
बयान में कहा गया है कि इस दौरान 9,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे जिसमें 5,357 करोड़ रुपये का केंद्रीय हिस्सा होगा. इसमें ग्राम न्यायालय योजना के लिए 50 करोड़ रुपये शामिल हैं. इस धन का उपयोग बेहतर व्यवस्था देना है. अभी भी कई अदालतें अपर्याप्त जगह के साथ किराए के परिसरों में काम कर रही हैं. कई अदालतें अब भी खराब स्थिति में हैं, इनमें से कुछ के पास बुनियादी सुविधाएं तक नहीं हैं. सभी न्यायिक अधिकारियों के लिए आवास की कमी भी उनके काम और प्रदर्शन पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है.
इसमें कहा गया है कि हालांकि अधीनस्थ न्यायपालिका के लिए बुनियादी ढांचे के विकास की प्राथमिक जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है, लेकिन केंद्र सरकार इस योजना के जरिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में न्यायिक अधिकारियों के लिए आवासों और अदालत भवनों के निर्माण के लिए राज्यों के संसाधनों में वृद्धि करती है.