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MCD कर्मचारियों का वेतन मामला: हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा- विज्ञापनों पर कितना खर्च किया?

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कोरोना महामारी (COVID-19) के दौरान दिल्ली म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के स्वास्थ्य कर्मचारियों को सैलरी और पेंशन न मिलने के मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई. पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने सैलेरी और पेंशन कर्मचारियों को न मिलने के मामले में प्रॉपर्टी अटैच करने की वार्निंग दी थी. दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा कि वो विज्ञापनों पर कितना खर्च करते हैं, जिम्मेदारीपूर्वक बताएं.

साउथ दिल्ली म्युनिसिपल कॉरपोरेशन (SDMC) और नार्थ दिल्ली म्युनिसिपल कॉरपोरेशन (NDMC) ने दिल्ली हाईकोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दायर कर कहा कि मई महीने तक स्वास्थ्य कर्मचारियों को सैलेरी और पेंशन दे दिया गया है. स्टेटस रिपोर्ट दायर करने में देरी हुई क्योंकि गुरुवार सुबह तक कर्मचारियों के एकाउंट में सैलेरी ट्रांसफर की जा रही थी. स्वास्थ्य कर्मचारी जैसे नर्स इत्यादि जो ग्रुप D में आते है, उनकी सैलेरी दे दी गई है. मई महीने तक हमारे पास फण्ड की शॉर्टेज है. इसलिए हम 2 महीने की सैलरी अभी भी नहीं दे पाए है. हमारा पैसा अभी भी राज्य सरकार के पास आया है. लेकिन हमे मिल नहीं रहा है. इसी वजह से दिक्कतें आ रही है.

दिल्ली हाईकोर्ट साउथ दिल्ली म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन और नार्थ दिल्ली म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के वकील दिव्या प्रकाश पांडे की इस दलील पर नाराजगी जताते हुए कहा कि इसमें कर्मचारियों की क्या गलती है. उन्हें भी अपना बकाया बिल चुकता करना होता है. वो अपनी काम पूरी ईमानदारी से करते हैं. इस आशा से कि महीने के आखिरी में उन्हें सैलेरी मिलेगी. आप लोगों के पास इतनी प्रॉपर्टी है, क्यों नहीं इसको लेकर कुछ कर रही है.

कोर्ट ने जताई नाराजगी
साउथ दिल्ली म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन और नार्थ दिल्ली म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के वकील ने कोर्ट से कहा कि हमें राज्य सरकार से पूरे 900 करोड़ एक साथ नहीं चाहिए. ये हम लगातार कह रहे है. जहां तक प्रॉपर्टी की बात है, हमने उसके लिए टेंडर निकाल दिया है. हम लगातार केंद्र और राज्य से कह रहे है. अगर उन्हें चाहिए तो ये प्रॉपर्टी ले सकते हैं जिससे हमारे पास रेवेन्यु जेनरेट हो पाए. इससे पहले 6 महीने की सैलरी बकाया थी. आज केवल 2 महीने की सैलरी बकाया है. कॉर्पोरेशन ने 20 करोड़ रुपये रिलीज किया है स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए.

हाईकोर्ट ने एक बार फिर नाराजगी जताते हुए कहा कि आपकी मंशा अच्छी हो सकती है, लेकिन जिस रफ्तार से आप लोग काम कर रहे हैं, उससे कई सवाल भी खड़े होते हैं. एक बात जान लीजिए किसी भी तरीके से कर्मचारियों को सैलेरी देनी पड़ेगी, वो आप कैसे करो? हमें दिखाओ सब नहीं तो प्रॉपर्टी अटैच होगी.

म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन की कोर्ट में दलील
साउथ दिल्ली म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन और नार्थ दिल्ली म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के वकील ने कहा कि टेंडर में विलंब इसलिए हो रहा है क्योंकि आज मार्किट डाउन है और कमरशियली हमे अच्छी कीमत चाहिए. हमने एक चिठी भी लिखी है हेल्थ सेक्रेटरी को जिसमें कहा है कि एक अस्पताल में जमीन खाली है वो अगर लेना चाहें तो ले सकते है. पिछली सुनवाई के बाद ही हमने कार्रवाई शुरू कर दी. हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा से सवाल किया कि अगर आपको जुलाई के पैसा भी देना है अभी तो आप ये नहीं कह सकते कि हम नहीं देंगे? दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा ने हाईकोर्ट से कहा कि दिल्ली सरकार केवल एक माध्यम है. दरअसल, पैसा केंद्र से आता है. हमारे तरफ से कुछ भी बकाया नहीं है. हमे निशाना न बनाया जाए. हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा कि वो विज्ञापनों पर कितना खर्च करते हैं?

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