दिल्ली के कई इलाको में बोरवेल के दौरान भूजल में भारी धातुओं मैंगनीज, लोहा और यहां तक कि यूरेनियम की अनुमेय सीमा से अधिक की उपस्थिति पाई गई है. मई 2020 के बाद अगस्त 2021 में जारी 2020-21 के लिए केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWB) की नवीनतम वार्षिक रिपोर्ट में पांच जगहों पर 30 भागों प्रति बिलियन (पीपीबी) की अनुमेय सीमा से अधिक यूरेनियम की उपस्थिति पाई गई है. जिन जगहों पर भूजल में अधिक यूरेनियम मिला है उनमें जनकपुरी, हरेवाली, झरोदा कलां, निजामुद्दीन ब्रिज और कंझावाला शामिल हैं. वहीं झरोदा कलां में यूरेनियम की मात्रा 128.9 पीपीबी पाई गई है जो हद तक खतरनाक है.
दिल्ली के इन इलाकों में निकले इस जहरीले पानी को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि कभी-कभी नहाने के लिए भी इस पानी का उपयोग करना काफी हद तक सही है, लेकिन इसे पीने से गुर्दे या आंतों जैसे अंगों पर प्रभाव पड़ सकता है. इस समय में राजधानी में 8,000 से अधिक बिना सील किए गए बोरवेल शेष हैं और अधिकारियों का कहना है कि उन्हें सील करने की प्रक्रिया में एक साल से अधिक का समय लगेगा.
दिल्ली जल बोर्ड के अनुसार 1,150MGD की मांग के मुकाबले दिल्ली को लगभग 945MGD पाइप से पानी मिलता है. इस अध्ययन में केवल 200MGD की कमी को पूरा करने के लिए निवासियों द्वारा प्रत्यक्ष रूप से निकाले गए भूजल की जानकारी है. कम मात्रा में भारी धातु मानव शरीर के लिए सहनीय होती हैं, लेकिन वर्षों से इसके सेवन से अंगों के विकास में समस्या हो सकती है.