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लद्दाख दौरे पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की दो टूक, पड़ोसी चीन-पाकिस्तान को दिया ये कड़ा संदेश

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पूर्वी लद्दाख से चीन को दो टूक शब्दों में संदेश देते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा कि भारत एक शांतिप्रिय देश है जिसने कभी कोई आक्रामण नहीं किया किंतु उकसाये या धमकाने जाने पर वह मुंहतोड़ जवाब देने के लिए सदैव तैयार रहता है. इस क्षेत्र की अपनी यात्रा के दूसरे दिन एक अग्रिम स्थान पर सैनिकों को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि भारत पड़ोसी देशों के साथ संवाद के जरिए मुद्दों का समाधान करना चाहता है किंतु देश की सुरक्षा के साथ किसी भी कीमत पर समझौता नहीं किया जाएगा.

उन्होंने पिछले साल 15 जून को गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ भीषण झड़प में शहीद हुए 20 भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि दी और कहा कि देश उनके बलिदान को कभी नहीं भूलेगा. सिंह की तीन दिवसीय यात्र ऐसे समय हो रही है जब पूर्वी लद्दाख में कई स्थानों पर भारतीय एवं चीनी सैनिकों के बीच साल भर से टकराव के समाधान में गतिरोध बना हुआ है. वैसे इस साल फरवरी में पैंगोंग झील इलाके से उन्होंने अपने सैनिक एवं हथियार पीछे हटा लिये थे.

रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत शांतिप्रिय देश है और वह किसी को धमकी नहीं देता है किंतु यदि उसे कोई धमकाए तो वह इसे सहन नहीं करेगा. सिंह की इस बात को चीन को दिये गये स्पष्ट संकेत के रूप में देखा जा रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘हमें पिछले साल उत्तरी सीमा पर बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा. किंतु हमारे सशस्त्र बलों ने उससे निपटने के लिए अपना साहस एवं समर्पण दिखाया… हमारी सेना के पास हर चुनौती का मुंहतोड़ जवाब देने की क्षमता है.’’

सिंह ने कहा कि विवाद वार्ता के जरिए सुलझाये जा सकते हैं यदि उसके लिए स्पष्ट मंशा हो. उन्होंने कहा,‘‘ हमने सदैव विश्वशांति के लिए कार्य किया है. हमने कभी किसी पर हमला नहीं किया. हमारा उद्देश्य कभी किसी के विरूद्ध जीत हासिल करने का नहीं रहा. भारत ने किसी देश पर न तो हमला किया और न ही एक इंच जमीन कब्जा की. हमारी मंशा बहुत साफ है.’’

रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘हमारे पड़ोसियों को सोचना चाहिए कि हम युगों से पड़ोसी रहे हैं और युगों तक पड़ोसी रहेंगे. क्या वार्ता के माध्यम से हम विवादित मुद्दों का हल ढूढ सकते हैं? हम पड़ोसी हैं और पड़ोसी बने रहेंगे. मैं सभी पड़ोसियों की बात कर रहा हूं. हम हल ढूढ सकते हैं बशर्ते हमारी स्पष्ट मंशा हो.’’

उन्होंने कहा कि भारत ने कभी किसी प्रकार का आक्रमण नहीं किया किंतु इसी के साथ यदि उसे उकसाया गया तो वह मुंह तोड़ जवाब देने को तैयार है. साथ ही वह उकसाये जाने पर मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार है. उन्होंने सशस्त्र बलों को हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया. साथ ही उन्होंने एक ऐसी शक्तिशाली सेना के प्रति सरकार के दृष्टकोण को दोहराया जो किसी भी तरह आकस्मिकता से निपटने में सक्षम हो.

गलवान घटना के दौरान भारतीय सेना द्वारा दिखाये गये साहस की प्रशंसा करते सिंह ने कहा भारत को अपने सशस्त्र बलों पर नाज है और वह गलवान घाटी में अपने प्राण न्यौछावर करने वाले सैनिकों के बलिदान को कभी नहीं भूलेगा.’’ गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ पिछले साल 15 जून को भीषण झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे. दोनों देशों के बीच पिछले कुछ दशकों में हुई यह सबसे भीषण झड़प थी.

चीन ने फरवरी में आधिकारिक तौर पर स्वीकार किया था कि भारतीय सेना के साथ संघर्ष में पांच चीनी सैन्य अधिकारी और एक जवान मारा गया था, हालांकि व्यापक रूप से यह माना जाता है कि मरने वालों की संख्या अधिक थी. रक्षा मंत्री ने लद्दाख में सीमा सड़क संगठन द्वारा बनाये गये 63 पुलों का भी उद्घाटन किया. रविवार को उन्होंने पूर्वी लद्दाख में भारत की सैन्य तैयारी की समग्र समीक्षा की थी.

अधिकारियों ने बताया कि रक्षा मंत्री और उनके साथ गये सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे को 14 वीं कोर के लेह मुख्यालय में सेना के शीर्ष कमांडरों ने वर्तमान स्थिति और भारत की तैयारी के बारे में बताया गया. पिछले साल मई से पूर्वी लद्दाख में कई स्थानों पर भारत एवं चीन के बीच सैन्य टकराव चल रहा है. हालांकि दोनों पक्ष कई दौर की सैन्य एवं कूटनीतिक वार्ता के बाद फरवरी में पैंगोंग झीील के उत्तरी एवं दक्षिणी तट से पीछे हट गये थे.

दोनों पक्ष बाकी स्थानों से पीछे हटने के विषय पर वार्ता में लगे हैं. भारत खासकर हॉट स्प्रिंग, गोगरा और डदपसांग में सैनिकों के पीछे हटने पर जोर दे रहा है. सीमा पर बाकी स्थानों से सैनिकों के पीछे हटने के मुद्दे पर वार्ता में कोई प्रगति नजर नहीं आ रही है क्योंकि चीनी पक्ष ने 11 वीं दौर की सैन्य वार्ता में अपने रुख में कोई लचीलापन नहीं दिखाया.

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