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HC से जमानत पाए तीनों छात्र कार्यकर्ताओं को सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस

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उत्तर-पूर्वी दिल्ली हिंसा (Delhi Violence) से जुड़े एक मामले में जामिया मिल्लिया इस्लामिया (Jamia Millia Islamia) के छात्र आसिफ इकबाल तनहा और जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय की छात्रा देवांगना कालिता और नताशा नरवाल को दिल्‍ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) से मिली जमानत के खिलाफ दिल्‍ली पुलिस (Delhi Police) की याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई की गई. मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्‍ली दंगों के मामले में जमानत पाने वाले तीनों छात्र कार्यकर्ताओं को नोटिस जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, जिस तरह से तीना छात्रों को जमानत मिली है उसे आगे मिसाल के तौर पर पेश नहीं किया जाएगा. इसके साथ ही कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वह दिल्‍ली हाईकोर्ट के फैसले पर इस समय दखल नहीं देगा.

सॉलिसीटर जनरल ने कहा,दिल्‍ली हाईकोर्ट ने जिस तरह से फैसला दिया है उसे देखने के बाद सभी मामले प्रभावित होंग, इसलिए आदेश में रोक लगना चाहिए. अब जब कोर्ट ने तीनों छात्रों को बरी कर दिया है तो उन्‍हें बाहर ही रहने दीजिए. लेकिन हाईकोर्ट के इस फैसले को मिसाल के तौर पर आगे पेश नहीं किया जाएगा. असहमति और विरोध का मतलब लोगों की जान लेना नहीं होता.

गौरतलब है कि 24 फरवरी 2020 को उत्तर-पूर्व दिल्ली में संशोधित नागरिकता कानून के समर्थकों और विरोधियों के बीच हिंसा भड़क गई थी, जिसने सांप्रदायिक टकराव का रूप ले लिया था. हिंसा में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी तथा करीब 200 लोग घायल हो गए थे. इन तीनों पर इनका मुख्य ‘‘साजिशकर्ता’’ होने का आरोप है.

जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस एजे भंभानी की पीठ ने याचिकाओं पर सुनवाई की जिसमें कहा गया है कि जमानत संबंधी आदेश पारित होने के 36 घंटे बाद भी आरोपियों को जेल से रिहा नहीं किया गया है. हाईकोर्ट ने तीनों को जमानत देते हुए कहा था, ‘राज्य ने प्रदर्शन के अधिकार और आतंकी गतिविधि के बीच की रेखा को धुंधला कर दिया है तथा यदि इस तरह की मनोवृत्ति जारी रही तो यह ‘लोकतंत्र के लिए एक दुखद दिन होगा.’

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