खाने के तेल (Edible Oil) के भाव आसमान पर हैं. पिछले आठ महीनों में खाने के तेल जैसे कि सरसों तेल (Mustard Oil), रिफायंड तेल (Refined Oil) और पाम तेल (Palm Oil) की कीमतों में 40-50% की वृद्धि हुई है. इससे कोविड-19 के चलते आई आर्थिक मंदी (Covid-19 crisis) के दौरान आम आदमी की जेब पर असर पड़ा है. लोगों के किचन का बजट बिगड़ गया है. हालांकि, इस बीच एक राहत भरी खबर भी आ रही है. खबर है कि खाने के तेलों के दाम घटेंगे, यानि खाद्य तेल सस्ता होने वाला है.
चीन पाम तेल की खरीद कम करेगा
चीन मार्केटिंग ईयर 2021-22 में अक्टूबर 2021-सितंबर 2022 तक अपनी पाम ऑयल की खरीद को कम करेगा, क्योंकि वह घरेलू खाद्य तेल उत्पादन में तेजी लाने की कोशिश कर रहा है. इसके अलावा उद्योग चाहता है कि सरकार खाद्य तेलों पर आयात शुल्क कम करे ताकि उपभोक्ताओं को कुछ राहत मिल सके.
घट सकती है एग्रीकल्चर इन्फ्रा एंड डेवलपमेंट सेस
ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार पाम तेल (ताड़ का तेल), सनफ्लावर (सूरजमुखी) और सोया ऑयल के आयात पर लगने वाले एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट सेस को घटा सकती है. इससे कीमत में गिरावट आएगी और आम जनता को थोड़ी राहत मिलेगी. बता दें कि इस समय खाने के तेल का भाव पिछले पांच सालों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है.
जानें, कितना लगता है यह सेस?
गौरतलब है कि सरकार ने बजट 2021 में एग्रीकल्चर इन्फ्रा को डेवलप करने के मकसद से एग्री सेस को शुरू किया था. इस समय पाम ऑयल पर यह 17.50 फीसदी और सूरजमुखी व सोयाबीन तेल पर 20 फीसदी है. अगर इसमें कटौती होती है तो दाम कम होंगे.
जानें, अभी कितना महंगा मिल रहा खाद्य तेल?
सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक, रिटेल में वनस्पति तेल 140 रुपये के पार पहुंच गया है. पाम तेल में पिछले एक साल में 52 फीसदी की तेजी आई है. पिछले साल मई के पहले सप्ताह में इसका भाव 87 रुपये था जो बढ़कर 133 रुपये पर पहुंच गया. इसी तरह सोयाबीन तेल 50 फीसदी महंगा हुआ है. यह 105 रुपये से 158 रुपये पर पहुंच गया है. सरसों तेल में 49 फीसदी की तेजी आई है और यह 110 रुपये के मुकाबले 164 रुपये के स्तर पर पहुंच चुका है. बिहार समेत कई राज्यों में सरसों तेल 200 रुपये के स्तर पर पहुंच गया है.