कोरोना महामारी के बाद देश में एक और बीमारी अपने पांव पसार रही है. म्यूकरमाइकोसिस या फिर ब्लैक फंगस नाम की इस बीमारी के बढ़ते मरीजों को देखते हुए भारत सरकार ने इसके लिए भी दवाओं का स्टॉक बढ़ाने का फैसला लिया है. पीएम मोदी ने ब्लैक फंगस को कोरोना के खिलाफ जंग में आ रही एक बड़ी चुनौती माना है. कुछ राज्य सरकारों ने इसे महामारी घोषित कर दिया है. इसी बीच सरकार ने ब्लैक फंगस से लड़ाई लड़ने के लिए देश की 5 नई कंपनियों को इसकी दवाएं बनाने का लाइसेंस दिया है, ताकि दवाओं की कमी से मरीजों की जान न जाए.
पीएम ने ब्लैक फंगस को माना चुनौती
आज पीएम मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में कोरोना ड्यूटी पर लगे मेडिकल स्टाफ और फ्रंट लाइन वर्कर्स से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बातचीत में ब्लैक फंगस का भी जिक्र किया. उन्होंने बताया कि ब्लैक फंगस कोरोना के खिलाफ चल रही लड़ाई में एक नई चुनौती बनकर आया है, ऐसे में हमें इससे निपटना भी है और ज़रूरी एहतियात भी बरतनी है.
दवाओं की आपूर्ति में जुटी सरकार
अब तक भारत में 5 कंपनियां ही ब्लैक फंगस के ट्रीटमेंट में इस्तेमाल हो रही दवा Amphotericin B का प्रोडक्शन कर रही थीं. इन कंपनियों में भारत सीरम एंड वैक्सीन लिमिटेड, बीडीआर फार्मास्यूटिकल्स, सन फार्मा, सिप्ला, लाइफ केयर इनोवेशन शामिल हैं. वहीं माइलेन लैब से इसे इम्पोर्ट किया जा रहा था. अब सरकार की ओर से 5 नई कंपनियों को ब्लैक फंगस की दवा बनाने का लाइसेंस दिया गया है. इन कंपनियों में – नाटको फार्मास्यूटिकल्स, एलेम्बिक फार्मास्यूटिकल्स, गूफिक बायोसाइंस, एम्क्योर फार्मास्यूटिकल्स, और लाइका शुमार हैं. पुरानी 5 कंपनियां ने मई में 1 लाख 63 हजार 752 वाइल्स का प्रोडक्शन किया. इसे अब दोगुना करने की जरूरत पड़ चुकी है.
दवा के प्रोडक्शन से पूरी होगी ज़रूरत
जो 5 कंपनियां ब्लैक फंगस की दवा बना रही थीं, उन्हें में 2 लाख 55 हजार 114 वाइल्स का प्रोडक्शन करने के लिए कहा गया है. मई की बात करें तो देश में 3 लाख 63 हजार वाइल्स को इम्पोर्ट किया जा रहा हैं. जिसके बाद दवा का कुल स्टॉक 5 लाख 26 हजार 752 हो जाएगा. जून में फिर 3 लाख 15 हजार वाइल्स को सरकार इम्पोर्ट करेगी. जून में देश में कुल 5 लाख 70 हजार 114 वाइल्स उपलब्ध होंगी. जिन 5 कंपनियों को नया लाइसेंस दिया गया है वो जुलाई में 1 लाख 11 हजार वाइल्स का प्रोडक्शन करेंगी. वहीं ब्लैक फंगस के लिए दवा इम्पोर्ट करने के लिए दूसरी एंटी फंगल दवाओं की भी तलाश की जा रही है.