साल 2018 में चीनी विदेश मंत्री वैंग यी (Wang Yi) ने QUAD अलायंस को ‘समुद्री झाग’ जैसा मामूली बताकर कहा था कि ये जल्द ही गायब हो जाएगा. लेकिन अक्टूबर 2020 तक इसी QUAD समूह को चीन ‘कोल्ड वॉर की मानसिकता’ वाला समझने लगा. चीन उम्मीद कर रहा था कि उसे लेकर सख्त रहे ट्रंप प्रशासन के बाद अब जो बाइडन कुछ नरमी दिखा सकते हैं. ट्रंप प्रशासन के दौरान क्वाड डायलॉग को काफी महत्व दिया गया. लेकिन अब बाइडन प्रशासन भी इस समूह को वैसी ही तवज्जो दे रहा है.
शुक्रवार की बैठक के दौरान खुद अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि वो इस समूह के साथ काम को लेकर बेहद उत्सुक हैं. इससे पहले अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने बीती 18 फरवरी को क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक बुलाई थी. ये बीते दो महीने के दौरान क्वाड विदेश मंत्रियों की तीसरी बैठक थी. चीनी प्रशासन में इसे लेकर भी हैरानी है. यही कारण है कि कल की बैठक के पहले चीन कह चुका था कि देशों को आपसी संबंध बेहतर करने के लिए मिलना चाहिए न कि किसी थर्ड पार्टी को निशाना बनाने के लिए.
दिलचस्प बात ये रही कि बैठक के दौरान चारों देशों के नेताओं ने सभी भ्रम को किनारे रखकर एक सुर में बातचीत की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि साझा मूल्यों को आगे बढ़ाने और सुरक्षित, स्थिर, समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए पहले से कहीं अधिक साथ मिलकर, निकटता से काम करेंगे. उन्होंने कहा, ‘आज का सम्मेलन दिखाता है कि ‘क्वाड’ विकसित हो चुका है और यह अब क्षेत्र में स्थिरता का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बना रहेगा.’
क्या बोले पीएम मोदी
पीएम मोदी ने भी बगैर चीन का नाम लिए कहा- हम अपने लोकतांत्रिक मूल्यों और मुक्त तथा समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र को लेकर अपनी प्रतिबद्धता के लिए एकजुट हैं.’ बैठक के बाद भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने बताया- आज की बैठक में सभी नेताओं ने सकारात्मक एजेंडा और विजन पर बातचीत की. नेताओं का फोकस वर्तमान के बड़े मुद्दों जैसे वैक्सीन, क्लाइमेट चेंज और तकनीकी सहयोग पर रहा. क्वाड देशों का वैक्सीन इनिशियेटिव सबसे महत्वपूर्ण कदम है. चारों देशों ने अपने वित्तीय संसाधनों, उत्पादन क्षमता सहित अन्य सुविधाओं के जरिए सहयोग की बात कही है.
अमेरिकी राष्ट्रपति ने दिए साफ संकेत
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने साफ संकेत दिए कि चीन पर सख्त निगाहें बनी रहेंगी. बाइडन ने इशारों में बिना चीन का नाम लिए कहा कि हम हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति के लिए प्रतिबद्ध हैं.
2008 से अब तक सफर
कल की बैठक के बाद कहा जा सकता है कि बीते 12 वर्षों में क्वाड की यात्रा ऐतिहासिक रही है. 2008 में तकरीबन खत्म हो चुके क्वाड संगठन को लेकर 2017 में एक बार फिर प्रयास शुरू हुए. इसके बाद सितंबर 2019 में चारों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच बैठक हुई और अब राष्ट्राध्यक्षों की मुलाकात.
स्पष्ट तौर पर कहा जा सकता है कि इस समूह के एकजुट होने के पीछे चीन का दादागीरी वाला और आक्रामक रवैया जिम्मेदार रहा है. अब क्वाड बैठक में नेताओं ने साफ कहा है कि ये समूह महज सुरक्षा सहयोग तक सीमित नहीं रहेगा. ये समूह कई क्षेत्रों में काम करेगा. माना जा सकता है कि क्वाड अब नए युग में प्रवेश करने जा रहा है जो अंतरराष्ट्रीय संबंधों का ग्रेट गेम होगा.