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छत्तीसगढ़ को नई ऊंचाईयों पर ले जाने वाला बजट : मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज विधानसभा में वर्ष 2021-2022 का बजट पेश किया

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परम्परागत ग्रामीण कौशल को पुनर्जीवित करने 4 नए विकास बोर्ड का होगा गठन

पत्रकारों की दुर्घटना में मृत्यु पर परिवार को 5 लाख की सहायता

नवा रायपुर में छत्तीसगढ़ी सांस्कृतिक परिक्षेत्र की होगी स्थापना

कौशल्या मातृत्व योजना शुरू होगी

कांकेर, कोरबा और महासमुंद में मेडिकल कॉलेज भवन के लिए 300 करोड़ का प्रावधान

119 नए अंग्रेजी माध्यम स्कूल और खुलेंगे

7 नवीन महाविद्यालय एवं 3 कन्या महाविद्यालय की होगी स्थापना

11 नई तहसीलें और 5 नए अनुविभाग की होगी स्थापना

सी-मार्ट स्टोर की होगी स्थापना

स्वच्छता दीदियों का मानदेय अब 6000 रूपए

रायपुर, एक मार्च 2021

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज विधानसभा में छत्तीसगढ़ का बजट प्रस्तुत करते हुए कहा कि यह बजट राज्य को नई ऊंचाईयों पर ले जाएगा। उन्होंने वित्त मंत्री के रूप में अपनी सरकार के तीसरे बजट को प्रस्तुत करते हुए कहा कि इस बजट में ‘गढ़बो नवा छत्तीसगढ़‘ के मूलमंत्र की भावनाओं को समाहित किया गया है।

मुख्यमंत्री श्री बघेल ने बजट पेश करते हुए कहा कि अध्यक्ष महोदय देश-दुनिया समेत छत्तीसगढ़ की सरकार के लिये भी पिछला वर्ष बहुत ही चुनौतीपूर्ण रहा है। कोविड-19 महामारी के संक्रमण से बचाव हेतु लागू लॉकडाउन के कारण राज्य में आर्थिक गतिविधियाँ प्रभावित रहीं, जिसके कारण राजस्व प्राप्तियों में कमी आयी। महामारी काल में आजीविका के साधनों की कमी के कारण आम जनता को राहत पहुंचाने हेतु कल्याणकारी योजनाओं में अधिक संसाधनों की आवश्यकता पड़ी। हमारी सरकार ने इस दो-तरफा दबाव का दृढ़ता से सामना करते हुए जनता के हित में लगातार कार्य किया और मुझे यह कहते हुये संतोष है कि शासन-प्रशासन की सजगता एवं जनता के प्रयासों से राज्य पर इस आपदा का दुष्प्रभाव कम हुआ।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें यह कहते हुए गर्व है कि संकट के दौर में भी हमारी सरकार के संवेदनशील और सुसंगत प्रयासों के कारण महात्मा गांधी नरेगा योजना में रोजगार देने तथा मजदूरी भुगतान करने का कीर्तिमान बना। वनोपज खरीदी का राष्ट्रीय कीर्तिमान बना। शिक्षा, स्वास्थ्य तथा पोषण के लिए किए गए नवाचारों तथा प्रवासी मजदूरों की सुरक्षित घर वापसी एवं पुनर्वास के प्रयासों को राष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली।

हमने संक्रमण की रोकथाम तथा उपचार के लिये त्वरित निर्णय लिये। स्वास्थ्य विभाग के लिये 670 करोड़ के अतिरिक्त बजट की तत्काल व्यवस्था की गई। कोरोना संक्रमण की जांच हेतु 6 आरटी-पीसीआर लैब और 18 ट्रूनॉट लैब की तत्काल स्थापना की गई। मार्च 2020 में शासकीय अस्पतालों में आईसीयू बिस्तर क्षमता केवल 53 थी, जिसकी संख्या बढ़कर 406 बिस्तर हो चुकी है। कोरोना संक्रमित मरीजों के उपचार हेतु 30 कोविड समर्पित अस्पताल तथा 178 कोविड केयर सेन्टर स्थापित किये जाने से मरीजों के उपचार में तेजी आयी व प्रदेश की जनता का मनोबल बढ़ा।

सुराजी ग्राम योजना के तहत स्थानीय संसाधनांे के संरक्षण व पुनर्जीवन का हमारा अभियान कोरोना संकटकाल के दौरान बहुत उपयोगी सिद्ध हुआ। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ और आत्मनिर्भर बनाने हेतु प्रारंभ की गई इस योजना के तहत कृषि, पंचायत एवं वन विभाग में उपलब्ध राशि के अभिसरण से स्वीकृत लाखों विकास कार्याें के कारण संकट के दौर में भी छत्तीसगढ़ में ग्रामीण रोजगार के अवसरों में वृद्धि हुई। हमने गोबर को गोधन बनाने की दिशा में सुविचारित कदम उठाते हुये गोधन न्याय योजना लागू की, जिसमें पशु पालकों से गोबर क्रय करके गोठानों में वर्मी कंपोस्ट एवं अन्य उत्पादों का निर्माण किया जा रहा है। योजना के क्रियान्वयन से जैविक खेती एवं गौ-पालन को बढ़ावा, पशु पालकों को आर्थिक लाभ तथा रोजगार के नये अवसरों का सृजन हो रहा है। हमारी इस पहल को भारत सरकार एवं अन्य राज्यों द्वारा भी सराहा गया है।

हमारे प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों में विशिष्ट सृजनात्मक कलाओं की बहुलता है, जिसे रोजगार के अवसर में ढालने के लिये शहरी क्षेत्रों में पौनी-पसारी योजना शुरू की गई थी, इस दिशा में एक कदम और आगे बढ़ाते हुए अब ग्रामीण क्षेत्रों में रूरल इंडस्ट्रियल पार्क की स्थापना की जायेगी, जहां परम्परागत व्यवसायिक गतिविधियों के संचालन एवं विपणन की सुविधा प्रदान की जाएगी। छत्तीसगढ़ के स्थानीय कृषि उत्पादों जैसे ढेकी का कूटा चावल, घानी से निकला खाद्य तेल, कोदो, कुटकी, मक्का से लेकर सभी तरह की दलहन फसलें, विविध वनोपज जैसे इमली, महुआ, हर्रा, बहेरा, आंवला, शहद एवं फूलझाड़ू इत्यादि व वनोपज से निर्मित उत्पाद तथा टेराकोटा, बेलमेटल, बांसशिल्प, चर्मशिल्प, लौहशिल्प, कोसा सिल्क तथा छत्तीसगढ़ी व्यंजनों जैसी सभी सामग्रियों को एक ही छत के नीचे विपणन की सुविधा प्रदान की जायेगी। इसके लिये राज्य एवं राज्य के बाहर सी-मार्ट स्टोर की स्थापना की जायेगी, जो विशिष्ट छत्तीसगढ़ी ब्राण्ड के रूप में मशहूर होंगे। योजना के माध्यम से स्थानीय उत्पादकों को अधिक लाभांश दिलाने की व्यवस्था भी की जायेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अध्यक्ष महोदय, अब मैं राज्य की आर्थिक स्थिति का ब्यौरा सदन के सामने प्रस्तुत करता हूँ। राज्य के विगत वर्ष के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार स्थिर दर पर वर्ष 2019-20 में राज्य के सकल घरेलू उत्पाद मंें 5.32 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान किया गया था, किन्तु अद्यतन प्रस्तुत त्वरित अनुमान के अनुसार 5.12 प्रतिशत की वृद्धि संभावित है। राष्ट्रीय स्तर पर 4.2 प्रतिशत वृद्धि की तुलना में राज्य की वृद्धि दर 1 प्रतिशत अधिक है।

वर्ष 2020-21 में स्थिर भाव पर राज्य में कृषि क्षेत्र में 4.61 प्रतिशत, औद्योगिक क्षेत्र में (-)5.28 प्रतिशत और सेवा क्षेत्र में 0.75 प्रतिशत की वृद्धि अनुमानित है। इस प्रकार कृषि, औद्योगिक एवं सेवा क्षेत्रों में राज्य की अनुमानित वृद्धि दर, राष्ट्रीय स्तर पर इन क्षेत्रों में अनुमानित वृद्धि दर क्रमशः 3.4 प्रतिशत, (-)9.6 प्रतिशत एवं (-)8.8 प्रतिशत की तुलना में काफी संतोषजनक है।

प्रचलित भाव पर राज्य का सकल घरेलू उत्पाद वर्ष 2019-20 में 3 लाख 44 हजार 955 करोड़ से बढ़कर वर्ष 2020-21 में 3 लाख 50 हजार 270 करोड़ होना अनुमानित है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 1.54 प्रतिशत अधिक है। राष्ट्रीय स्तर पर (-)7.7 प्रतिशत की कमी की तुलना में राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में यह वृद्धि राज्य के आर्थिक विकास का सुखद संकेत है।

वर्ष 2019-20 में अनुमानित प्रति व्यक्ति आय 1 लाख 05 हजार 59 रूपये की तुलना में वर्ष 2020-21 में 1 लाख 04 हजार 943 रूपये का अनुमान है, जो कि गत वर्ष की तुलना में मात्र 0.14 प्रतिशत कम है। इसी अवधि में राष्ट्रीय स्तर पर प्रति व्यक्ति आय के आंकड़ों में 5.41 प्रतिशत की कमी अनुमानित की गई है।

वर्ष 2021-22 के केन्द्रीय बजट में राज्य के लिये केन्द्रीय करों में हिस्से की राशि चालू वर्ष की तुलना में 4 हजार 128 करोड़ की कमी के साथ 22 हजार 675 करोड़ प्रावधानित की गयी है। चालू वर्ष के प्रारंभ की तुलना में अंतिम त्रैमास में राज्य की राजस्व प्राप्तियों में सुधार को देखते हुये, हमने राज्य के स्वयं के राजस्व को आगामी वर्ष के लिए इस वर्ष के स्तर पर अनुमानित किया है।

अध्यक्ष महोदय, हमारी मंशा प्रदेश को हर क्षेत्र में नई ऊंचाइयों पर ले जाने की है। अंग्रेजी के इस हाईट शब्द के हर अक्षर में विकास की अवधारणा के भिन्न-भिन्न आयाम समाहित हैं। हाईट का पहला एच, होलिस्टिक डेवलपमेंट यानि समग्र विकास का सूचक है। इस समग्र विकास का लाभ हमारे किसानों को, श्रमिकों को, वनवासी भाईयों को, माताओं और बच्चों को समान रूप से प्राप्त होता है। विकास की इस अवधारणा में बड़े नगरों का आधुनिकीकरण के साथ-साथ सूदूर दुर्गम क्षेत्र के गांवों में भी बेहतर मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करायी जाती हैं। विकास की इस प्रक्रिया में सुशासन की स्थापना के लिये आधुनिक प्रौद्योगिकी के उपयोग कोे प्रोत्साहित करते हैं, साथ ही अपनी संस्कृति और परम्पराओं का संरक्षण कर उन्हें चिरंजीवी रखने के लिये भी पूर्ण प्रयास करते हैं।

राजीव गांधी किसान न्याय योजना में धान एवं अन्य फसलों को शामिल करके बोये गये रकबे के आधार पर किसानों को प्रोत्साहन राशि देकर हमनें कास्त लागत को कम करने का प्रयास किया है। इससे कृषि क्षेत्र में निवेश एवं फसल उत्पादन में वृद्धि हुई है। इस वर्ष 20 लाख 53 हजार किसानों से 92 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की गई है, जो छत्तीसगढ़ के इतिहास में सर्वाधिक है। इस वर्ष वन अधिकार मान्यताधारी 32 हजार 23 कृषकों से भी 10 लाख 70 हजार क्विंटल धान की खरीदी की गई है। राजीव गांधी किसान न्याय योजना हेतु वर्ष 2021-22 के बजट में 5 हजार 703 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। बस्तर संभाग के 7 आदिवासी बहुल जिले एवं मुंगेली जिले से चयनित कुल 14 विकासखण्डों में पोषण सुरक्षा तथा किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हेतु चिराग योजना के लिए 2021-22 के बजट में 150 करोड़ का प्रावधान किया गया है। कृषक जीवन ज्योति योजना अंतर्गत कृषि पम्पों को निःशुल्क विद्युत प्रदाय हेतु 2 हजार 500 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। योजना में लगभग साढ़े 5 लाख किसानों को लाभान्वित किया जायेगा। कृषि पम्पों के ऊर्जीकरण के लिये डेढ़ सौ करोड़ का बजट प्रावधान रखा गया है। सौर सुजला योजना अंतर्गत हमारी सरकार के गठन के पश्चात अब तक 31 हजार 712 सोलर पंपों की स्थापना की जा चुकी है। वर्ष 2021-22 में इस योजना के लिये 530 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। किसानों को शून्य ब्याज दर पर 5 हजार 900 करोड़ का अल्पकालीन कृषि ऋण वितरित करने का लक्ष्य रखा गया है। ब्याज अनुदान के भुगतान हेतु वर्ष 2021-22 में 275 करोड़ का प्रावधान रखा गया है।

फसल बीमा योजना में 606 करोड़, कृषक समग्र विकास योजना में 81 करोड़, कृषि यंत्र सेवा केन्द्र की स्थापना एवं कृषि यंत्रों पर अनुदान एवं निःशुल्क वितरण हेतु 95 करोड़ का प्रावधान किया गया है। । प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना एवं शाकम्बरी योजना में 123 करोड़ का प्रावधान किया गया है। नगद आमदनी के कारण फल-फूल एवं सब्जियों की खेती के प्रति कृषकों की रूचि बढ़ रही है। इस वर्ष 5 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में बहुवर्षीय फलोद्यान, 4 हजार 500 हेक्टेयर में सब्जी उत्पादन तथा 13 सौ हेक्टेयर क्षेत्र में फूलों की खेती हेतु अनुदान देने का लक्ष्य रखा गया है। कुल उद्यानिकी फसलों के लिए 2021-22 में 495 करोड़ के बजट का प्रावधान रखा गया है।

गोठानों को रोजगारोन्मुखी बनाने के लिए गोधन न्याय योजना प्रारंभ की गई है। गोठान समितियों द्वारा पशुपालकों से 2 रू. किलो की दर से गोबर क्रय हेतु 80 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है। स्व-सहायता समूहों द्वारा गोबर से वर्मी कंपोस्ट एवं अन्य उत्पाद तैयार किया जा रहा है। अब तक 71 हजार 300 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट तैयार किया जा चुका है। वर्तमान में 7 हजार 841 स्व-सहायता समूह गोठान की गतिविधि संचालित कर रहे हैं। इन समूहों के लगभग 60 हजार सदस्यों को वर्मी खाद उत्पादन, सामुदायिक बाड़ी, गोबर दिया निर्माण इत्यादि विभिन्न गतिविधियों से 942 लाख की आय प्राप्त हो चुकी है। गोठान योजना के लिये वर्ष 2021-22 के बजट में 175 करोड़ का प्रावधान रखा गया है।

मत्स्य पालन हेतु उपलब्ध जल क्षेत्रों में से 95 प्रतिशत क्षेत्र को विकसित करके 2 लाख से अधिक मछुआरों को रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। स्वयं की भूमि पर तालाब निर्माण कर मत्स्य पालन की योजना राज्य में काफी लोकप्रिय है। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, नील क्रांति योजना एवं प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत निजी तालाबों का निर्माण करवाया जा रहा है। वर्ष 2021-22 में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना में 79 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। मत्स्य पालन को बढ़ावा देने हेतु इसे कृषि के समान दर्जा दिये जाने की कार्यवाही की जायेगी। वर्ष 2021-22 के बजट में मत्स्य पालन की गतिविधियों के लिये 171 करोड़ 20 लाख का प्रावधान किया गया है।

परम्परागत ग्रामीण व्यवसायिक कौशलों के पुनरूद्धार एवं कर्मकारों को सहयोग प्रदान करने के लिए तेलघानी विकास बोर्ड, चर्म शिल्पकार विकास बोर्ड, लौह शिल्पकार विकास बोर्ड एवं रजककार विकास बोर्ड की स्थापना की जायेगी। कोसा उत्पादन एवं कोसा वस्त्र निर्माण के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ की विशिष्ट पहचान है। वर्तमान में कोसा उत्पादन एवं वस्त्र निर्माण के कार्यों में 50 हजार से अधिक हितग्राहियों को रोजगार से जोड़ा गया है। हाथकरघा वस्त्र बुनाई के माध्यम से 60 हजार परिवारों को रोजगार मिल रहा है। लाख पालन के क्षेत्र में रोजगार की संभावनाओं को देखते हुए ब्याज रहित ऋण की सुविधा प्राप्त करने के लिये लाख पालन को भी कृषि के समकक्ष दर्जा प्रदान किया गया है।

असंगठित श्रमिक सुरक्षा एवं कल्याण मण्डल अंतर्गत पंजीकृत श्रमिक से संबंधित आंकड़ों के ऑनलाईन संधारण तथा विभिन्न योजनाओं का त्वरित लाभ पहुंचाने की दृष्टि से विभिन्न एप्प निर्माण एवं राज्य स्तरीय हेल्प डेस्क सेन्टर की स्थापना हेतु नवीन मद में प्रावधान रखा गया है। असंगठित श्रमिकों, ठेका मजदूरों, सफाई कामगारों एवं घरेलू कामकाजी महिलाओं के कल्याण की योजना में 61 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। राज्य बीमा अस्पताल योजना में 56 करोड़ तथा कर्मचारी राज्य बीमा चिकित्सालयों हेतु 48 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। राजीव किसान न्याय योजना का दायरा भूमिधारी कृषकों से आगे बढ़ाने के लिये ग्रामीण कृषि भूमिहीन श्रमिकों को सहायता हेतु नवीन न्याय योजना प्रारंभ की जायेगी।

पूर्व में निरस्त किये गये वन अधिकार मान्यता पत्रों की पुनः समीक्षा की जाकर 24 हजार 827 नये वन अधिकार पत्रों सहित अब तक 4 लाख 36 हजार 619 व्यक्तिगत वन अधिकार पत्रों का वितरण किया जा चुका है। वन अधिकार पत्र धारी वनवासियों को भी किसानों के समान अधिकार देते हुए इस वर्ष किसान न्याय योजना का लाभ दिया गया है। राज्य सरकार द्वारा विशेष पहल करते हुए पहली बार 2 हजार 175 सामुदायिक वन संधारण अधिकार ग्राम सभाओं को दिये गये हैं। सामुदायिक वन अधिकार पत्र के रूप में वितरित वन भूमि पर फलदार वृक्षों के रोपण को प्रोत्साहित किया जायेगा। राज्य में 52 प्रकार के लघु वनोपज का मूल्य निर्धारित कर संग्रहण किया जा रहा है। चालू सीजन के दौरान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 112 करोड़ की लागत के 4 लाख 74 हजार क्विंटल लघु वनोपज का संग्रहण किया गया है। ट्राईफेड नई दिल्ली द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर लघु वनोपज क्रय करने वाले राज्यों में छत्तीसगढ़ का प्रथम स्थान है। राज्य के अनुसूचित क्षेत्रों में कोदो, कुटकी एवं रागी को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अन्य लघु वनोपज की भांति उपार्जित किया जाएगा। 12 लाख 50 हजार तेंदू पत्ता संग्राहक परिवारों को आकस्मिक मृत्यु अथवा दुर्घटना की स्थिति में सुरक्षा प्रदान करने के लिए ”शहीद महेंद्र कर्मा तेंदू पत्ता संग्राहक सामाजिक सुरक्षा योजना’’ प्रारंभ की गई है। वर्ष 2021-22 के बजट में इस हेतु 13 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। विशेष केन्द्रीय सहायता पोषित स्थानीय विकास कार्यक्रमों हेतु 359 करोड़ तथा आदिवासी क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं के विकास हेतु 170 करोड़ का प्रावधान रखा गया है।

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